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कहाँ से आया “महाकाल लोक” बनाने का आइडिया, जानें

इंडिया न्यूज़ (उज्जैन, All about mahakaal corridor): देश के प्रधानमंत्री आज बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में है। उन्होंने 850 करोड़ की लागत से  बनने वाले “महाकाल लोक” के पहले चरण का उद्घाटन किया। आइये आपको बताते है की महाकाल लोक बनाने का आइडिया कहाँ से आया और यह कॉरिडोर कैसा है-

उद्घाटन करते प्रधानमंत्री

 

950 मीटर लंबा है महाकाल कॉरिडोर

महाकाल कॉरिडोर की लंबाई 950 मीटर से अधिक है। यह कॉरिडोर उज्जैन के पुरानी रुद्र सागर झील के चारों ओर  फैला हुआ है। महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र के पुनर्विकास की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को फिर से पुनर्जीवित किया गया है.

महाकाल लोक का दृश्य.

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है

देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। नए कॉरिडोर के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। यह गलियारा महाकाल मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है। इस रास्ते में कई मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। महाकाल कॉरिडोर में 108 स्तंभ बनाये गये हैं।

950 मीटर से अधिक का ये पूरा महाकाल मंदिर परिसर इन स्तंभों पर टिका होगा। पहले चरण में महाकाल लोक की लागत 316 करोड़ रुपये आई है। 50 से अधिक भित्ति-चित्रों की एक शृंखला ‘महाकाल लोक’ में लगाए गए है।

महाकाल लोक का दृश्य.

एक लाख भक्त एक घंटे में कर सकेंगे दर्शन

महाकाल कॉरिडोर में सुविधा केंद्र का निर्माण किया गया है। इसमें एक साथ चार हजार श्रद्धालु रुक सकेंगे। इसके लागत 23.90 करोड़ रुपये आई है। सुविधा केंद्र में 6000 मोबाइल लॉकर बनाया गया है। इसके अलावा एक क्लास रूम भी होगा, जिसमें श्रद्धालु अपना सामान रख पायेंगे। महाकाल कॉरिडोर को कुछ इस तरह तैयार किया गया है, जिसमें एक लाख श्रद्धालु आसानी से एक घंटे में भगवान का दर्शन कर पायेंगे.

महाकाल लोक का दृश्य.

कहां से आया महाकाल लोक का आइडिया?

महाकाल लोक के निर्माण का आइडिया आखिर कहाँ से आया? दरअसल, मंदिर परिसर और इसके आसपास विकास योजना की हमेशा से ज़रूरत महसूस होती रही है। सिटी एक्सपर्ट्स से बात करके इस लोक का प्लान बनाया गया। इसके परिणामस्वरूप साल 2017 में महाकाल लोक प्रोजेक्ट सामने आया। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत यह शायद भारत में सबसे बड़ा पब्लिक ओपन स्पेस प्रोजेक्ट है।

इसके निर्माण मुख्य शहर में ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए ख़ास तौर पर बनाया गया है। मंदिर परिसर में गाड़ियों के घुसने पर रोक है। इसके सभी प्रवेश द्वार पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। हरि फाटक पुल से नीचे जाते हुए नंदी द्वार है पर भगवान शिव की नक्काशी की गई है। द्वार के दोनों शीर्ष पर नंदी हैं। यहां तांबे के रंग की भगवान गणेश की एक बड़ी मूर्ति भी आपको देखने में मिलेगी। महाकाल लोक के गलियारे में खंभों पर की गई शानदार नक्काशी लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करती है।

महाकाल कॉरिडोर का हवाई दृश्य.

इस कॉरिडोर में एक गोलाकार तालाब है। इसके केंद्र में भी भगवान शिव की एक भव्य मूर्ति है। कॉरिडोर की यात्रा इस जगह से शुरू हो जाती है। दोनों तरफ शिव पुराण, त्रिपुरासुर वध, शिव तांडव से जुड़ी विभिन्न कथाओं पर आधारित मूर्तियां आपको यहाँ देखने को मिल जाएंगी।

कॉरिडोर के एंट्री प्लाजा सुविधाओं के लिए टिकट बूथ हैं। प्लाजा से महाकाल मंदिर तक एक पैदल यात्री गलियारा है। इस रास्ते पर भी शिव कथा दर्शातीं मूर्तियां और भित्तिचित्र आपको देखने को मिलेंगे। यहाँ की हर हर मूर्ति और म्युरल पर आपको एक क्यूआर कोड देखने को मिलेगा। आपको जिस भी मूर्ति या म्युरल की जानकरी चाहिए, आप स्कैन करे और पूरी जानकरी आपके पास होगी। यहाँ ऑडियो गाइड के ज़रिए आप पूरी कहानी भी सुन सकते है। कॉरिडोर के बीच रास्ते में रेस्ट रूम, शॉपिंग सेंटर्स और खाने-पीने की जगह बनाने की योजना है।

पूरे कॉरिडोर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। एक बड़ा-सा कंट्रोल और कमांड सेंटर भी बनाया गया है, जहां हर कैमरे से आने वाली फीड को एक बड़ी स्क्रीन पर दिखाया जाएगा.

 

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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