होम / जयप्रकाश नारायण की पुण्‍यतिथि पर जाने, लोकनायक की उपाधि पाने वाले जेपी कैसे बने युवा छात्रों के आदर्श

जयप्रकाश नारायण की पुण्‍यतिथि पर जाने, लोकनायक की उपाधि पाने वाले जेपी कैसे बने युवा छात्रों के आदर्श

Priyanshi Singh • LAST UPDATED : October 11, 2022, 1:06 pm IST

Jayaprakash Narayan Death Anniversary:

आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्‍यतिथि है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश का पूरा जीवन संघर्ष करते हुए बीता है . बता दें जेपी को उनके कामों नें धीरे-धीरे  मशहूर कर दिया. इमरजेंसी के दौरान उनके नेतृत्‍व में जेपी आंदोलन (JP Movement) ने इंदिरा गांधी सरकार (Indira Gandhi Government) की नाक में दम कर दिया था ।भारत में बहुत कम होता है जब कोई आंदोलन उसे चलाने वाले के नाम पर ही हो जाता है. लेकिन जयप्रकाश नारायण उनमें से एक हैं जिनके द्वारा चलाया गया आंदोलन आज जेपी आंदोलन (JP Movement) के नाम से ही जाना जाता है. लोकनायक की उपाधि पाने वाले जेपी युवा छात्रों के आदर्श कैसे बने एक पीछे उनके इतिहास की लंबी कहानी हैं. उनकी प्रभावी शख्सियत की निर्माण की जड़े आजादी से काफी पहले ही पनपनी शुरू हो गई थीं. आज 11 अक्टूबर को उनकी जन्मतिथि पर जानने की कोशिश करते हैं कि जेपी लोकनायक कैसे बने.

जेपी का बचपन

11 अक्टूबर 19011 को बंगाल प्रेसिडेंसीके सारण के सिताबदियारा गांव में पैदा होने वाले जेपी का बचपन संघर्ष में गुजरा था. बाढ़ के कारण हर साल उनके परिवार को घर छोड़ कर दूर जाना पड़ता था. पढ़ाई में गहरी रुचि होने के साथ, खुद को आत्मनिर्भर रहने की इच्छा को लेकर वे 9 साल की उम्र में गांव छोड़कर पटना चले गए और होस्टल में दाखिला लिया. देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी कम नहीं था. इसलिए गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए परीक्षा से 20 दिन पहले ही कॉलेज छोड़ दिया, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ सके.

18 साल की उम्र में जेपी ने रचाई थी शादी फिर हुए थे अमेरिका रवाना

जेपी की शादी 1920 में 18 साल की उम्र में 14 साल की प्रभादेवी के साथ हुई थी. शादी के दो साल बाद ही उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया. उन्होंने अपनी पत्नी को साबरमती आश्रम में छोड़ तक खर्चे की परवाह किए बगैर ही जॉनस कार्गो जहाज से अमेरिका रवाना हो गए. वहां पहुंचने के ढाई-तीन महीने के बाद उन्होंने बर्केले में दाखिला लिया.

जयप्रकास ने मार्क्सवादी के रूप में वापसी

1929 में भारत लौटने के बाद जेपी मार्क्सवादी के रूप में वापस आए थे. लेकिन आजादी के आंदोलन से दूर ना रह सके और कांग्रेस में भी शामिल हो गए. लेकिन कई सालों तक मार्क्सवाद उन पर हावी रहा. कई बार उन्हें गांधी जी की कई तरीके पसंद नहीं आते थे. उन्होंने कभी गांधी जी का विरोध नहीं किया, लेकिन कांग्रेस में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी जरूर बना ली. भारत छोड़ो आंदोलन में भी उनका अन्य समाजवादियों के साथ अलग ही तरह का योगदान रहा जिसमें उन्होंने काफी लोकप्रियत हासिल की.

मार्क्सवाद से गांधीवाद की ओर जाने लगे थे जेपी

आजादी के बाद जेपी को गांधी जी के रास्तों पर ज्यादा विश्वास होता चला गया. इसके बाद उन्होंने सामाजिक न्याय और सर्वोदय के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया. फिर 1970 के दशक में उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया और बिहार में सामाजिक न्याय के लिए आंदोलन चलाया. इसके बाद इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ भी जेपी आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे, लेकिन जब इंदिरा गांधी 1997 में सत्ता से बाहर हुईं तो नई सरकार में जेपी ने कोई पद नहीं लिया. 8 अक्टूबर 1979 को दिल और मधुमेह की बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया।

ये भी पढ़ें – WBSSC Scam शिक्षक भर्ती घोटाले में टीएमसी का विधायक माणिक भट्टाचार्य गिरफ्तार

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.