इंडिया न्यूज, Nainital News : Nainital In Danger : शुक्रवार को एक बार फिर से नैनीताल में भवाली रोड पर बड़ा भूस्खलन हुआ है। जिसके बाद सड़ी का करीब 30 मीटर हिस्सा खाई में समा गया है। राजभवन की पहाड़ी से निहालनाला तक के निचले इलाके में खनन व मनमाने निर्माण से हालात ज्यादा खराब हुए हैं। यदि पूरे शहर को इस खतरे से बचाना है तो जल्द ही ठोस कदम उठाना होगा।
बता दें कि बलियानाला, चायना पीक, टिफिनटाप व नैना पीक के साथ ही 7 नंबर समेत अन्य संवेदनशील पहाड़ियों पर लगातार भूस्खलन व दरार चौड़ी होने लगी है। इस कारण कहा जा रहा है कि जैसा 1880 में हुआ था ऐसा एक बार फिर से होने का डर सता रहा है।
बता दें कि 1880 में अल्मा पहाड़ी का बड़ा हिस्सा झील में समा गया था, जिसकी चपेट में आकर 43 ब्रिटिश नागरिकों समेत 151 लोगों की मौत हो गई थी। ब्रिटिश शासकों ने इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद शहर को दोबारा संवारने की कोशिश की, लेकिन बाद के दिनों में उनके प्रयासों को दरकिनार कर मनमानी निर्माण, अतिक्रमण व आसपास के क्षेत्रों में खनन शुरू कर दिया गया।
इससे 24 जुलाई को फिर उसी अल्मा पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन हुआ। उसकी चपेट में कई मकान भी आ गए। इससे प्रशासन सबक लेता कि शुक्रवार दोपहर में नैनीताल-भवाली रोड पर भी भूस्खलन शुरू हो गया।
नैनीताल की भार क्षमता खत्म होने के बावजूद भी निर्माण जारी
कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी प्रो. बीएस कोटलिया ने बताया कि 2006 में प्रदेश सरकार ने स्वीकारा कि नैनीताल की भार क्षमता अब समाप्त हो गई है। यहां अब निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन 2022 में भी यहां बेधड़क निर्माण चल रहा है।
तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरी है नैनीताल झील
नैनीताल झील तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है। ऊपर मल्लीताल की तरफ नैना पीक पहाड़ी, एक तरफ अयारपाटा पहाड़ी, दूसरी तरफ शेर का डांडा पहाड़ी और नीचे तल्लीताल की तरफ बलिया नाला। ऐसे में हर तरफ से हो रहा भूस्खलन शहर के अस्तित्व के लिए ठीक नहीं माना जा रहा।
नैनीताल और नैनी झील के बीच फाल्ट एक्टिव
वहीं प्रो. बीएस कोटलिया की मानें तो नैनीताल और नैनी झील के बीच से गुजरने वाले फाल्ट के एक्टिव होने से भूस्खलन और भूधंसाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। असल में ज्योलीकोट से कुंजखड़क तक एक बड़ी क्षेत्रीय भ्रंश रेखा मौजूद है, जो बलियानले के समीप से नैनी झील के मध्य से होती हुई गुजरती है। इसे नैनीताल फाल्ट कहते हैं।
भूगर्भीय हलचलों के कारण एक्टिव होते हैं फाल्ट
बता दें कि यह फाल्ट या दरार भूगर्भीय हलचलों का परिणाम है। इसी से इस फाल्ट के एक्टिव होने के संकेत मिल रहे हैं। इस दरार के सिकुड़ने या खुलने से ही भूस्खलन जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। शहर में लगातार बढ़ता भवनों का दबाव भी एक अहम वजह है। प्रो. कोटलिया ने चेताया कि अभी भी शहरवासी नहीं संभले तो परिणाम भयावह हो सकता है।
भूविज्ञानियों ने सुझाए बचाव के लिए ये उपाय…
- भूविज्ञानियों के मुताबिक नैनीताल की लोअर माल रोड पर वाहनों का आवागमन नियंत्रित किया जाए।
- निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए।
- पहाड़ी से जल निकासी के लिए बनाए गए पुराने 64 नालों से अतिक्रमण हटाया जाए।
- हरितपट्टी का विस्तार किया जाए।
- खनन पर रोक लगाई जाए।
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