इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट का मामला संविधान पीठ को सौंप दिया है। पांच जजों की संविधान पीठ अब इस मामले की सुनवाई करेगी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के गठन, बागी विधायकों की अयोग्यता और शिवसेना के धनुष-बाण चिह्न पर अधिकार से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया की, ” मामले को परसों संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें और पीठ चुनाव चिन्ह से संबंधित चुनाव आयोग की कार्यवाही के बारे में फैसला करेगी।”
कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि तब तक संविधान पीठ मामले की सुनवाई न कर ले अब तक आप कोई फैसला न करे, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने के लिए डिप्टी स्पीकर की शक्ति के संबंध में नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर के मामले में निर्णय द्वारा छोड़े गए अंतर को देखने के लिए एक संविधान पीठ की आवश्यकता है.
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा की “जब उनके खिलाफ इस तरह की कार्यवाही शुरू की गई है तो अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने के लिए डिप्टी स्पीकर की शक्ति पर प्रकाश डालना महत्वपूर्ण है। यहां नबाम राबिया केस के फैसले में बचे हुए अंतर को भरने की जरूरत है। दसवीं अनुसूची के पैरा 3 को हटाने का क्या प्रभाव है? अध्यक्ष की शक्तियों का दायरा क्या है? पार्टी में दरार होने पर चुनाव आयोग की शक्ति का दायरा क्या है? इन सभी सवालों पर फैसला बड़ी पीठ करेगी.
1. 20 जून को एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों ने राज्य में विधान परिषद (एमएलसी) चुनावों के दौरान पार्टी व्हिप के खिलाफ मतदान किया और उसके बाद एकनाथ शिंदे और कई विधायक गुजरात के सूरत चले गए.
2. मुंबई से गुजरात की दूरी कम होने के कारण 22 जून को एकनाथ शिंदे विधायकों को लेकर असम की राजधानी गुवाहटी चले गए, उद्धव गुट की याचिका पर तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने 25 जून को एकनाथ शिंदे और 16 विधायकों को अयोग्य करार देने का नोटिस दिया और 27 जून तक जवाब माँगा.
3. इसके विरोध में 26 जून को एकनाथ शिंदे के गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून को शिंदे और उनके बागी विधायकों को 12 जुलाई तक अंतरिम राहत दे दी थी.
4. 28 जून को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था, उद्धव ठाकरे गुट ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, इसके बाद कोर्ट ने 29 जून को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा बुलाए गए फ्लोर टेस्ट को भी हरी झंडी दे दी थी.
5. सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा देना का ऐलान कर दिया, ठाकरे सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे ने 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली .
सरकार गठन के बाद, ठाकरे खेमे ने शीर्ष अदालत के समक्ष विभिन्न याचिकाएं दायर कीं। इसमें एक याचिका में विधानसभा के नए अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा शिवसेना विधायक दल के नेता अजय चौधरी और सुनील प्रभु को शिवसेना मुख्य सचेतक के पद से हटाने वाले आदेश को चुनौती दी गई थी.
शिंदे सरकार के विश्वमात और राहुल नार्वेकर के विधानसभा अध्यक्ष पद पर हुए चुनाव को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी,इस बीच शिंदे गुट ने चुनाव आयोग से संपर्क कर यह तय करने को कहा की असली शिवसेना कौन सी है – शिंदे गुट या ठाकरे गुट.
शिंदे गुट के चुनाव आयोग जाने के बाद उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट चला गया, उद्धव गुट ने कहा की जब तक विधायकों की अयोग्यता का मसला सुप्रीम कोर्ट में तय नही हो जाता तब तक चुनाव आयोग के सामने सुनवाई पर रोक लगाई जाए.
IPL 2025 Mega Auction KKR: आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में कई खिलाड़ी अनसोल्ड रहे।…
Air Pollution News: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सोमवार को दिल्ली सरकार को निर्देश…
India News UP(इंडिया न्यूज़)Up News: यूपी के ज्योतिबा फुले नगर में एक अजीबोगरीब मामला सामने…
Union Cabinet Approved This Schemes: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार (25 नवंबर, 2024) को कई महत्वपूर्ण…
India News Bihar(इंडिया न्यूज़),Sambhal Violence:भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने…
Bizarre News: भारत में साली कहते हैं, लेकिन क्या आपको पता है सऊदी अरब में…