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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के गांवों में नेताओं के प्रवेश पर लगी रोक, जानें वजह

Rajesh kumar • LAST UPDATED : October 21, 2023, 9:02 am IST

India News(इंडिया न्यूज),Maharashtra Politics:साल 2024 में महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। हालांकि, राज्य बीजेपी के नेताओं के बीच यह मंथन चल रहा है कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं या नहीं। दरअसल प्रदेश इकाई का एक धड़ा यह चाहता है कि दोनों चुनाव एकसाथ कराए जाएं। आगामी चुनाव को लेकर सियासी मंथन शुरू हो गया है। इस बार चुनाव का एक मुद्दा मराठा आरक्षण रहने वाला है। इस बीच महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का आंदोलन तेज हो गया है। जिनमें प्रचार-प्रसार के लिए नेताओं के गांव में नहीं आने की बात कही गयी है।

दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र के कई जिलों में ग्राम पंचायत चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है। इस बीच मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के 50 गांव के लोगें ने नेताओं के गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे सभी दलों के नेताओं के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। बता दें, मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल इसे लेकर अभियान चला रहे हैं।

इस समय से गरमाई यह मुद्दा

मराठाओं की धरती महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है। वहीं महाराष्ट्र में एक सितंबर को भड़की हिंसा के बाद राजनीति गरमाई हुई है। मराठाओं के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हिंसा भड़की थी। जिसके बाद हिंसा बड़े पैमाने पर जुलूस, प्रदर्शन और बंद के रूप में महाराष्ट्र के कई जिलों में फैल गई है।

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वहीं, मराठाओं के आंदोलन ने राज्य सरकार की मुसीबतों को बढ़ा दिया है। आंदोलन पर आश्वसनों को लागू करने के लिए मराठा आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम दे रखा है। मनोज जारंगे अब इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। बल्कि आंदोलन तेज करने की धमकी दे रहे हैं।

हड़ताल ने सरकार को हिलाकर रख दिया

दरअसल, हिंगोली जिले में 50 से अधिक गांवों में बैनर लगे हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि राजनीतिक नेताओं को गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। मजे की बात है कि ग्राम पंचायत चुनाव से ठीक पहले गांव में नो एंट्री का बैनर लगने से नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई है। बता दें कि मराठा नेता मनोज जारांगे पाटिल आरक्षण के लिए बड़ी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने मराठा आरक्षण के लिए 17 दिनों तक अनशन किया। उनकी भूख हड़ताल ने सरकार को हिलाकर रख दिया था।

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