दिल्ली (Mahesh Jethmalani serious allegations on BBC): राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया की बीबीसी के कई चीनी ग्राहक हैं और जिसमें इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली कंपनी हुआवेई भी शामिल हैं।

महेश जेठमलानी ट्विटर पर कहा “भारत में बीबीसी समर्थक इस बात का सबूत मांगते हैं कि बीबीसी को हुआवेई द्वारा किया पेमेंट डाक्यूमेंट्री से जुड़ा है या नही, केवल हुआवेई ही नहीं है जो बीबीसी को भुगतान करती है बल्कि कम से कम 18 अन्य चीनी ग्राहक भी हैं!

‘द स्पेक्टेटर’ में छपा था लेख

ब्रिटेन स्थित प्रकाशन द स्पेक्टेटर ने बीबीसी को लेकर कई खुलासे किए थे जिसमें बीबीसी और चीनी तकनीकी दिग्गज हुआवेई के बीच कैश-फॉर-प्रोपेगैंडा सौदे की बात कही गई थी। स्टीरपाइक नामक लेखक ने द स्पेक्टेटर के एक लेख में कहा कि बजट में कटौती और लाइसेंस शुल्क में गड़बड़ी दिख रही है, बीबीसी ने कुछ संदिग्ध नई कॉर्पोरेट साझेदारी की है। उनमें से एक हुआवेई के साथ है। सुरक्षा चिंताओं की वजह से साल 2020 में हुआवेई के 5G नेटवर्क पर ब्रिटेन में प्रतिबन्ध लगा दिया गया था।

भारत विरोध का लंबा इतिहास

इससे पहले सोमवार को जेठमलानी ने यह भी आरोप लगाया था कि बीबीसी ने अपने विदेशी पत्रकारिता प्रयासों क वित्तीय मदद के के लिए हुआवेई से धन प्राप्त किया था। जेठमलानी ने ट्वीट किया “बीबीसी इतना भारत-विरोधी क्यों है? क्योंकि इसे चीन की कंपनी हुआवेई के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त रूप से धन की आवश्यकता है (बीबीसी के एक साथी यात्री, कॉमरेड जयराम?) यह केस फॉर प्रोपेगैंडा है।” उन्होंने जम्मू और कश्मीर के बिना भारत का नक्शा प्रकाशित करने के लिए भी बीबीसी पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा “बीबीसी का लम्बा इतिहास भारत विरोध का रहा है, पीएम विरोधी डाक्यूमेंट्री भी उसी का सिलसिला है।”

डाक्यूमेंट्री पर जारी है विवाद

बीबीसी ने हाल ही में 2002 के गोधरा दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर एक डाक्यूमेंट्री प्रकाशित किया था। ‘India: The Modi Question’ नाम के डॉक्युमेंटरी को दो भागों में प्रकाशित किया गया था। भारत सरकार ने बीबीसी की डाक्यूमेंट्री की आलोचना की और आईटी नियमों के आपातकाल प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए इसे भारत में दिखाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इसमें निष्पक्षता की कमी है।