इंडिया न्यूज, New Delhi News। Rajnath Singh’s Visit To Mongolia: भारत से मंगोलिया जाने वाले हर बड़े भारतीय नेता को मंगोलिया की ओर से उपहार स्वरूप घोड़ा दिया जाता है। वहीं हाल ही में मंगोलिया के दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी तोहफे के रूप में एक घोड़ा दिया गया है। 6 साल पहले जब पीएम मोदी मंगोलिया गए थे, तो उन्हें भी घोड़ा गिफ्ट मिला था। ये सिलसिला नेहरू के जमाने से चल रहा है। 16 दिसंबर 1958 को उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मंगोलिया दौरे पर गए, तो उन्हें भी मंगोलिया नस्ल के 3 घोड़े दिए गए थे।
अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार मंगोलिया में रहने वाले लोग अपने दैनिक जीवन में दूसरे किसी देशों की तुलना में सबसे ज्यादा घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे 2 कारण हैं।
पहला:- मंगोलिया में करीब 4000 साल पहले से मंगोलियाई ब्रीड के घोड़ों का इस्तेमाल सवारी के तौर पर होता आ रहा है। लोग माल ढुलाई से सवारी तक में इसका इस्तेमाल करते रहे हैं।
दूसरा:-करीब 850 साल पहले 1175 में मंगोलियाई शासक चंगेज खान ने इसी नस्ल के घोड़ों पर बैठकर 22 प्रतिशत दुनिया को जीत लिया था। इसके बाद से यहां के लोग दैनिक जीवन में ही नहीं, बल्कि जंग के मैदान में भी इसे बेहतर साथी मानने लगे।
बता दें कि यहां के लोग मंगोल नस्ल के घोड़ों को अपने देश के गौरवशाली ऐतिहासिक प्रतीक के तौर पर देखते हैं। इसलिए अपने यहां आने वाले मेहमानों को यहां घोड़ा गिफ्ट करने की परंपरा है।
मंगोलिया प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण एसोसिएशन के अध्यक्ष जे. सेरेन्डेलेग कहते हैं, मुझे लगता है कि घोड़ों के बिना मंगोलिया के भविष्य के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।
साल 1223 की बात है। 80,000 रूसी सैनिकों के सामने 20,000 मंगोल सैनिक थे। इस जंग का नेतृत्व चंगेज खान के दो लेफ्टिनेंट ने संभाल रखा था। अपने सामने 4 गुना से ज्यादा रूसी सैनिकों को देखकर डरने की बजाय मंगोल घुड़सवारों ने जबरदस्त हमला किया।
इस जंग में घोड़ों पर सवार मंगोल धनुष और भाले का इस्तेमाल कर आसानी से ये जंग जीत गए। कहा जाता है कि ये जंग मंगोलों ने सैनिकों की वजह से नहीं, बल्कि घोड़ों की वजह से जीती थी।
एनिमलहावइवर वेबसाइट के मुताबिक चंगेज खान की सैनिकों ने 90 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अपना सम्राज्य स्थापित करने के लिए कई तरीके अपनाए। इस दौरान मंगोल सैनिक खुद को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए इन घोड़ों का दूध और खून पीते थे। आज भी मंगोलिया के कुछ इलाकों में ये चलन है।
दुनिया भर के घोड़ों से जुड़ी जानकारी देने वाले वेबसाइट ग्लोबट्रॉटर डॉट कॉम के मुताबिक भले ही मंगोल नस्ल को घोड़ों को पालतू बनाया जाना 4,000 साल पहले शुरू हुआ हो, लेकिन सेंट्रल एशिया में इस नस्ल के घोड़ें की मौजूदगी 10 हजार साल पहले से है।
मंगोलियाई शासक चंगेज खान ने इसी घोड़े की ताकत पर एशिया और यूरोप के 90 लाख वर्ग किलोमीटर में अपना सम्राज्य स्थापित कर लिया था। चंगेज खान हर रोज इस घोड़े पर बैठकर 80 मील यानी 128 किलोमीटर की यात्रा करता था। उस वक्त से अब तक इस घोड़े का इस्तेमाल इन 5 कार्यों के लिए होता था।
जानकारी अनुसार मंगोलिया में अब भी हार्स कल्चर काफी ज्यादा फल-फूल रहा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2020 में इस देश की आबादी 33 लाख थी और यहां घोड़ों की संख्या 30 लाख थी। आज भी घोड़ा यहां पारंपरिक जीवन शैली के केंद्र में हैं।
इसकी वजह है कि अभी भी यहां बड़ी संख्या में मंगोल लोग खानाबदोश जिंदगी जीते हैं। ये लोग भोजन और कई अन्य संसाधनों के लिए मवेशियों, बकरियों, भेड़ों, याक, ऊंटों और घोड़ों के झुंड पर निर्भर हैं। मंगोल नस्ल के घोड़ा रखने वाले लोगों को यहां धनी माना जाता है। इसी वजह से मंगोलिया में एक कहावत काफी फेमस है कि ‘घोड़े के बिना मंगोल बिना पंखों के पक्षी के समान है।’
मंगोलिया हर साल करीब 2 हजार करोड़ रुपए का घोड़े का बाल बेचता है। ओईसी डॉट वर्ल्ड के मुताबिक मंगोलिया से दुनिया के दूसरे देशों में भेजे जाने वाले 5 सबसे ज्यादा सामानों में से एक घोड़े का बाल भी है। 2020 में मंगोलिया ने 1865 करोड़ रुपए का घोड़े का बाल दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किया है।
इसके अलावा इस साल 263 करोड़ रुपए का घोड़े का मांस मंगोलिया ने एक्सपोर्ट भी किया है। मंगोलिया के हर घर में दूध और मांस के लिए इन घोड़ों का इस्तेमाल हो रहा है। कम दूरी की यात्रा या सवारी के लिए भी लोग घोड़े का इस्तेमाल करते हैं जिससे पेट्रोल और डीजल की खपत कम होती है।
साइंस डॉट ओरजी की रिपोर्ट में मंगोल के घोड़ों और घुड़सवारों के बारे में बताया गया है। करीब 2200 साल पहले चीनी सेना और चंगेज खान के घुड़सवार तीरंदाजों के बीच घमासान जंग हुई। इस दौरान मंगोल घोड़ों की वजह से चंगेज खान के सैनिक काफी ताकतवर हो गए थे। इसी वजह से 220 से 226 ईसा पूर्व में चीन के प्रथम सम्राट शी हुआंग को 6400 किलोमीटर लंबी चीन की दीवार बनानी पड़ी थी।
2003 के ‘द अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमेन जेनेटिक्स’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में चंगेज खान के वंश के करीब 1.6 करोड़ पुरुष मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा इस वंश के लोग हैं। इसके पीछे मंगोल घुड़सवारों को बताया गया है। दरअसल, इन घोड़ों पर सवार होकर चंगेज सैनिक जहां भी जाते महिलाओं का रेप करते और आतंक मचाते थे।
मंगोलिया में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जो घोड़ा गिफ्ट में मिला है, वह अपने देश नहीं आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मंगोलिया में राजनाथ सिंह को गिफ्ट सांकेतिक उपहार के तौर पर मिला है।
दरअसल, 2005 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एक कानून बनाया जिसके तहत पशुओं के गिफ्ट लेने-देने पर रोक लगा दी गई। हालांकि, इस तरह की गिफ्ट लेने की मनाही नहीं है, यह देने वाले देश की इच्छा पर निर्भर करता है लेकिन घरेलू कानून की वजह से इन जानवरों को देश नहीं लाया जाता है। इसी वजह से नरेंद्र मोदी को जब 2015 में मंगोलिया में घोड़ा मिला था तो उसे वहीं भारतीय दूतावास में छोड़ दिया गया था।
ये भी पढ़ें: 12 सितंबर तक गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से वापस आ जाएंगे भारत और चीन के सैनिक
ये भी पढ़ें: जानिए त्वचा के लिए कैसे लाभकारी है तुलसी ?
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Connect With Us : Twitter | Facebook | Youtube
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है।…
Kalashtami Katha 2024: हिंदू धर्म में दीर्घायु का दिन शक्ति और साहस का प्रतीक है।…
Horoscope 23 November 2024: 23 नवंबर, शनिवार को वेशी योग बन रहा है। क्योंकि, शुक्र…
ICC Meeting For Champions Trophy 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच ख़राब रिश्तों का असर…
Indian Army Chief: भारतीय सेना को विदेशों में बड़ी सम्मान के नजर से देखा जाता…
आर्यन 13 महीने पहले अमेरिका चले गए थे और ऑबर्न विश्वविद्यालय में एमएस की डिग्री…