India News(इंडिया न्यूज),Monkeypox: पिछले कुछ समय में कुछ ऐसे जानलेवा वायरस के फैलाव के चलते पूरी दुनिया परेशान हो गई है। कोरोना के बाद मंकीपॉक्स नामक वायरस लगातार प्रचलन में आया है। जिसके बाद इसका तोर भी भारतीय वैज्ञानिकों ने निकाल लिया है। जानकारी के लिए बता दें कि, हाल ही में वैज्ञानिकों ने स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मंकीपॉक्स संक्रमण की एंटीबॉडी का पता लगाया है, जिसके अनुसार मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी में बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडी 226 दिन या उससे अधिक समय तक प्रभावी रह सकती हैं।
इसके साथ ही आपको बता दें कि, मंकीपॉक्स नामक वायरस कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक माना जाता है।वहीं परेशान करने वाली एक चिज ये भी है कि, कोरोना वायरस की एंटीबॉडी तीन से छह माह तक ही देखने को मिली है। लेकिन अभी कुछ ही दिन पहले वैज्ञानिकों ने मंकीपॉक्स के संदिग्ध रोगियों में चिकन पॉक्स वायरस के नौंवे क्लेड की पहचान की जो भारत में पहली बार मिला है।
देश दुनिया में तेजी से फैल रहे इन वायरस के चलते लोगों में अब डर सा बैठ गया है। जिसके बाद आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया है जिसमें बताया गया कि, 14 जुलाई 2022 को भारत में पहला मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी केरल में मिला। तब से लेकर अब तक कुल 25 मामले सामने आए हैं। इनमें से 24 रोगियों की निगरानी करने पर पता चला कि संक्रमित होने के पांचवे दिन से रक्त में एंटीबॉडी बनना शुरू होती हैं जो 68 दिन तक चलती हैं। इसके बाद आईजीएम एंटीबॉडी 226 दिन तक प्रभावी रहती हैं।
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