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NCAER ने कहा-SBI को छोड़कर बाकी सभी बैकों का निजीकरण कर देना चाहिए

इंडिया न्यूज, New Delhi News । Privatization : सरकार की ओर से प्राइवेटाइजेशन को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी कड़ी में सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ हो चुका है। सरकार जल्द ही बैंकों के नाम का ऐलान कर सकती है। देश में फिलहाल 12 सरकारी बैंक हैं। इनमें आईडीबीआई के अलावा 2 और बैकों का निजीकरण होना तय है।

इस बीच नीति आयोग से पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया और एनसीएईआर की महानिदेशक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता ने पॉलिसी पेपर लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक आफ इंडिया को छोड़कर बाकी सभी बैकों का निजीकरण कर देना चाहिए।

एसबीआई का प्रदर्शन बेहतर

अपनी पॉलिसी पेपर में उन्होंने लिखा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण किया जाना चाहिए। केवल एसबीआई को उसके बेहतर प्रदर्शन के कारण प्राइवेटाइजेशन से दूर रखना चाहिए। दोनों अर्थशास्त्रियों के अनुसार सैद्धांतिक रूप से हमने जो निजीकरण की रिपोर्ट तैयार की है, वो एसबीआई सहित सभी पब्लिक सेक्टर के बैकों पर लागू होती है।

कोई भी सरकार सरकारी बैंक के बिना नहीं रहना चाहेगी

लेकिन हम मानते हैं कि भारतीय आर्थिक ढांचे और राजनीतिक सिस्टम के भीतर कोई भी सरकार अपने पोर्टफोलियो में एक भी सरकारी बैंक के बिना नहीं रहना चाहेगी। इसे ध्यान में रखते हुए एसबीआई के अलावा अन्य सभी पब्लिक सेक्टर के बैंकों का निजीकरण करना होना चाहिए।

सरकारी की बजाय प्राइवेट बैंकों का प्रदर्शन बेहतर

उन्होंने आगे लिखा है कि बेशक अगर कुछ साल बाद हालात निजीकरण के लिए और अधिक अनुकूल हो जाते हैं, तो गोलपोस्ट में बदलाव कर एसबीआई को भी निजीकरण सूची में शामिल कर देना चाहिए। उनका कहना है कि सरकारी बैंकों के मुकाबले प्राइवेट बैकों का आपरेशन काफी बेहतर है।

प्राइवेटाइजेशन से बैंकों की कार्यप्रणाली में होगा सुधार

वहीं यदि सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर दिया जाता है, तो इनकी कार्यप्रणाली में सुधार होगा। अगर सरकारी बैंकों की बात करें, तो एसेट्स और इक्विटी के आधार पर प्राइवेट बैंकों के मुकाबले कमजोर हैं। डिपाजिट और एडवांस लोन के मामले में प्राइवेट बैंक सरकारी बैकों से आगे निकल गए हैं।

सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण का किया ऐलान

बता दें कि सरकार ने 2 बैंकों के निजीकरण का ऐलान कर दिया है। अब ये 2 बैंक कौने से होने चाहिए, इसपर दोनों लेखकों ने लिखा कि पिछले 5 साल में जिन बैंकों का एसेट और इक्विटी पर रिटर्न सबसे अधिक है। साथ ही NPA सबसे कम है। उसका निजीकरण सबसे पहले कर देना चाहिए। क्योंकि अगर सरकार की हिस्सेदारी कम होगी तो उसका प्राइवेटाइजेशन करना आसान होगा।

इन बैंको का किया जाएगा निजीकरण

पिछली बार बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ 2 पब्लिक सेक्टर के बैकों के निजीकरण की घोषणा की थी। जानकारी अनुसार नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक आफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण का सुझाव दिया गया है। लेकिन सरकार की तरफ से बैंकों के नाम पर अभी कुछ भी नहीं कहा गया है।

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Naresh Kumar

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