India News (इंडिया न्यूज), Nithari Killings: बहुचर्चित निठारी हत्याकांड पर बड़ा अपडेट आया है।इलाहाबाद HC ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर की फांसी की सजा रद्द कर दी है।
नोएडा के निठारी कांड में सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई थी। इस सजा को इलाहाबाद HC में चुनौती देते हुए अदालत से फांसी की सजा के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी। जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया है।
सबूतों का अभाव
अदालत ने बरी करते हुए कहा कि आरोप संदेह से परे साबित न किया जा सका है। जिस कारण उन्हें निर्दोष करार दिया जाता है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ कर रही थी। अदालत ने लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिस पर आज यानि सोमवार को फैसला सुनाया गया। आईए जानते हैं कब क्या- क्या हुआ।
कब क्या हुआ
साल 2006 में क्या हुआ
- 29 दिसंबर- मकान मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली गिरफ्तार हुआ।
- 30 दिसंबर- नाले से और बच्चों के कंकाल बरामद किए गए।
- 31 दिसंबर- दो बीट कांस्टेबल सस्पेंड किए गए।
साल 2007 में क्या हुआ
- 1 जनवरी- हत्याओं को लेकर पुलिस के द्वारा चंडीगढ़ में पंढेर के परिजनों से पूछताछ।
- 5 जनवरी- यूपी पुलिस अभियुक्तों को व्यापक नार्को परीक्षण के लिए गांधीनगर लेकर गई।
- 10 जनवरी- सीबीआई को केस ट्रांसफऱ
- 11 जनवरी- जांच शुरूआत करने के लिए सीबीआई का पहला दल निठारी पहुंचा। तब मकान के निकट 30 और हड्डियां बरामद हुई।
- 12 जनवरी- मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली से सीबीआई की पूछताछ।
- 20 जनवरी- यूपी सरकार की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में रिपोर्ट दाखिल किया गया।
- 8 फरवरी- पंढेर और सुरेंद्र कोली को 14 दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजा गया।
- 12 फरवरी- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के द्वारा मामले के अध्ययन के लिए समिति का गठन किया गया।
- 28 फरवरी और 01 मार्च- सुरेंद्र कोली से दिल्ली में एसीएमएम में इकबालिया बयान दर्ज कराए गए। बयानों की वीडियोग्राफी भी हुई।
- 22 मई- सीबीआई की ओर से गाजियाबाद की अदालत में मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया गया। जिसमें मोनिंदर सिंह पंढेर पर हल्के आरोप लगाए गए। वहीं सुरिंदर कोली पर बलात्कार, अपहरण और हत्या के आरोप दर्ज किए गए।
साल 2008 में क्या हुआ
- 01 मई- इस साल इस कांड में तीन पीड़ितों के पिता मुख्य अभियुक्त पंढेर को हत्या और अपहरण के आरोपों से मुक्त करने को लेकर सीबीआई के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।
- 11 मई- तब गाजियाबाद की अदालत ने सीबीआई को यह आदेश दिया था कि हत्याओं में पंढेर की भूमिका क्या है।
- 6 सितंबर- इस केस में एक और नया मोड़ आया। जब निठारी हत्याकांड की शिकार एक लड़की के पिता जतिन सरकार का शव पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में नदी से बरामद किया गया।
- 01 नवंबर- उच्चतम न्यायालय की ओर से एक पीड़ित के रिश्तेदार के आरोपों पर सीबीआई को नोटिस भेजा गया। आरोप था कि सीबीआई पंढेर को बचाने का प्रयास कर रही है।
- 13 दिसंबर- गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दो किशोरियों से बलात्कार और उनकी हत्या के मामले में आरोपी बनाया।
साल 2009 में केस कहां पहुंचा
- 12 फरवरी- विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने पंढेर और कोली को बलात्कार व हत्या का दोषी माना।
- 13 फरवरी- निठारी में सिलसिलेवार 19 हत्याओं में से एक 14 वर्षीय रिम्पा हालदार के साथ रेप और उसकी हत्या के लिए विशेष अदालत ने पंढेर तथा कोली को मौत की सजा सुनाई।
- 11 सितंबर- इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से पंढेर को सुनाई गई मौत की सजा को दरकिनार करते हुए उसे बरी किया गया।
- 7 जनवरी- हालदार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोली की मौत की सजा बरकरार रखी।
- 4 मई- कोली को आरती प्रसाद की हत्या का दोषी माना गया।
- उसे 12 मई को दूसरी बार मौत की सजा सुनाई गई।
- 28 सितंबर- जान लें कि कोली को मजदूर पप्पू लाल की आठ साल की लड़की रचना लाल की हत्या के आरोप में तीसरी बार मौत की सजा सुनाई गई।
- 22 दिसंबर- कोली को चौथी बार मौत की सजा सुनाई गई।
साल 2010 में क्या हुआ ?
- 7 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने कोली की मौत की सजा पर रोक लगा दी।
साल 2014 में क्या हुआ ?
- 20 जुलाई- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास सुरेंद्र और मौत की सजा पाए पांच अन्य दोषियों ने दया याचिका दायर की लेकिन इसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी।
- 8 सितंबर- कोर्ट की ओर से रात 1 बजे कोली की फांसी टाल दिया गया। कोली को उस दिन फांसी मिलने वाली थी।
- 7 सितंबर- सुरेंद्र कोली की मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।
- 12 सितंबर- उच्चतम न्यायालय ने सुरेंद्र कोली की फांसी पर अंतरिम रोक लगाई।
साल 2014 में क्या हुआ
- 29 अक्टूबर- भारत के मुख्य न्यायाधीश एच.एल.दत्तू की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मौत की सजा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अदालत ने फैसले में कोई गलती नहीं की है।
साल 2015 में क्या हुआ ?
- 29 जनवरी- मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की एक खंडपीठ। चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.के.एस. बघेल ने कोली की मौत की सजा के क्रियान्वयन पर रोक लगाया।
साल 2017 में क्या हुआ
- 22 जुलाई- सीबीआई अदालत ने व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को दोषी माना। सजा 24 जुलाई को सुनाई जाने की बात कही।
खौफनाक निठारी कांड
7 मई 2006 की बात है जब निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी के बहाने से बुलाया था। फिर क्या था वो लड़की वापस घऱ नहीं लौटी। यहीं से शुरु होती है खौफनाक कहानी। बेटी के घर नहीं लौटने पर युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का मामंला दर्ज करवाया था। पुलिस ने जांच शुरु की तब 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। इस मामले में पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया। फिर बाद में यह केस सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया।
कौन है कोली और पंढेर?
बता दें कि सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा के एक गांव का निवासी है। साल 2000 में वह दिल्ली आया था। यहां यह एक ब्रिगेडियर के घर पर कूक का काम करता था। साल 2003 की बात है जब पंढेर से सुरेंद्र कोली मिला। उसके कहने पर ही वह नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा था। पंढेर का परिवार साल 2004 में पंजाब चला गया। फिर वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगा। बता दें कि वह उस कोठी में अक्सर कॉलगर्ल को बुलाता था।
आरोप था कि वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म को अंजाम देता था। फिर मौत के घाट उतार देता था। वहीं निठारी गांव के लोगों का मानना है कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था। वह बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेता था। जिसे विदेशों में बेचता था।
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