India News (इंडिया न्यूज़), No confidence motion: संसद में हंगामों का सिलसिला खत्म होने का नाम नही ले रहा है। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी नेताओं ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को जमकर घेरा था। अब विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गया है।कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ भी बातचीत कर रही है।इससे पहले जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया था और 11 घंटे चली बहस के बाद हुई वोटिंग के परिणाम से मोदी सरकार ने आसानी से अपना बहुमत साबित कर दिया था। अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। पहली बार अविश्वास प्रस्ताव 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ लाया गया था।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव ?
जब लोकसभा में विपक्ष के किसी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे अंग्रेजी में नो कॉन्फिडेंस मोशन कहते हैं। इसका उल्लेख संविधान के आर्टिकल 75(3) में किया गया है। आर्टिकल 75(3) के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
क्या केंद्र सरकार को है अविश्वास प्रस्ताव से खतरा ?
जुलाई 2018 में जब विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई गई थी जिसमें विपक्ष को मुंह कि खानी पड़ी थी। अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट किया था। अगर मणिपुर मुद्दे को लेकर जारी गतिरोध के बाद सदन में अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो इनकी संख्या बढ़कर 28 हो जाएगी। जुलाई 2018 से पहले 2003 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार के खिलाफ पेश किया था।
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