India News (इंडिया न्यूज़), Nooh Violence: हरियाणा के नुह जिले में हिंसा के बाद दंगाइयों के खिलाफ प्रशासन के बुलडोजर पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, कोर्ट ने ध्वस्त किए गए लगभग 650 कच्चे पक्के मकानों के निवासियों का पूर्ण आवास, मुआवजा, ट्रांसलेट शिविर में रहने और दोषी अधिकारियों पर एक्शन लेने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किए हैं। इस बीच जमीयत उलेमा ए हिंद ने पीड़ितों के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट से किया अनुरोध

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह सभी राज्यों को आदेश जारी करें कि वे बुलडोजर की कार्यवाही ना करें। बुलडोजर का किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चलना अवैध है। तथाकथित आरोपियों के घरों पर या केवल इस कारण से कि उसकी इमारत से पत्थरबाजी की गई थी। बुलडोजर से उसके घर को ध्वस्त कर देना दोनों साबित होने से पहले सजा देने जैसा है।

बिना नोटिस घर को गिराना गलत

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि किसी भी मकान को चाहे उसका निर्माण अवैध हो या ना हो बिना नोटिस उसे ध्वस्त नहीं किया जा सकता। ध्वस्त करने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पूरा होना जरूरी ह। जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह बुलडोजर एक्शन से संबंधित मामले की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करें।

इस हाई कोर्ट में भी दायर करना चाहते थे याचिका

बुलडोजर चलने के कारण हरियाणा में लोगों की संपत्ति को जो नुकसान के मुआवजे और अवैध तरीके से जिन अधिकारियों ने विध्वंस की प्रक्रिया को अंजाम दिया उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही के लिए भी जमीयत उलेमा ए हिंद ने अलग से एक याचिका पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल करने वाले थी। लेकिन कुछ अहम कागजात पूरे ना होने की वजह से आशिक दाखिल ना हो सकी।

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