इंडिया न्यूज़ (तिरुवनंतपुरम, Opposition protests against goverment on opening day of kerala assmebly): वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को सोमवार को केरल विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष से भारी विरोध का सामना करना पड़ा।

विपक्ष ने जारी विझिंजम बंदरगाह मुद्दे पर अपनी चिंता जताई, जिसमें अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 27 नवंबर को अडानी के बंदरगाह के खिलाफ मछुआरों का विरोध हिंसक हो गया और विझिंजम पुलिस ने पांच मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया।

पादरियों के मुद्दे पर हंगामा

पुलिस ने आर्च बिशप और तिरुवनंतपुरम के सहायक बिशप के साथ-साथ कई पादरियों के खिलाफ कथित रूप से ट्रकों को रोकने के लिए मामले दर्ज किए, जिसके कारण यहां हाथापाई हुई। हालांकि, पांच प्रदर्शनकारियों में से चार को बाद में रिहा कर दिया गया।

केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने शनिवार को कहा कि अडाणी समूह ने विझिंजम में अपने बंदरगाह निर्माण स्थल में केंद्रीय बलों के सुरक्षा कवर का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

सरकार विरोध नही करती

मंत्री ने कहा, “अडानी समूह ने अपने बंदरगाह निर्माण स्थल में केंद्रीय बलों के सुरक्षा कवर का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।” उन्होंने कहा कि सरकार को अडानी समूह की मांग का विरोध नहीं करना चाहिए।

विपक्ष ने मेयर आर्य राजेंद्रन के कथित पत्र विवाद का मुद्दा भी उठाया, जहां उन्होंने नगर निगम के 295 अस्थायी पदों की नियुक्तियों को लेकर सीपीआई (एम) तिरुवनंतपुरम जिला सचिव अनवूर नागप्पन को कोई भी पत्र लिखने से स्पष्ट रूप से इनकार किया है।

मेयर के खिलाफ सबूत

सरकार ने यह भी कहा कि “मेयर के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा कोई सामग्री पेश नहीं की गई। जहां तक ​​पत्रों का सवाल है, अपराध कहां है, यही सवाल है।”

याचिका तिरुवनंतपुरम निगम के पूर्व पार्षद जीएस श्रीकुमार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें पत्र पंक्ति में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की मांग की गई थी।पत्र में आरोप लगाया गया है कि तिरुवनंतपुरम के मेयर आर्य राजेंद्रन ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जिला सचिव को पत्र लिखकर नगर निगम में 295 अस्थायी पदों पर पार्टी सदस्यों की नियुक्ति के लिए प्राथमिकता सूची की मांग की।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि महापौर और पार्षदों का भाई-भतीजावाद इन दोनों द्वारा निगम में पार्षदों के रूप में शपथ ग्रहण के समय ली गई शपथ के खिलाफ है।