Paan Seller Daughter SDM: एक पान विक्रेता की बेटी ज्योति चौरसिया ( UPPSC Jyoti Chaurasiya)  ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा में 21वीं रैंक हासिल की और यूपी के गोंडा जिले में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के रूप में नियुक्त हुई। ज्योति के बड़े भाई भी एक सफल करियर की उम्मीद रखते थे लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपने पिता के साथ पान की दुकान साझा करनी पड़ी।

  • बेटे ने पढ़ाई छोड़ दी थी
  • मां-बाप कर्ज नहीं चुका पा रहे थे
  • छठे प्रयास में मिली सफलता

मूल रूप से देवरिया जिले के रहने वाले ज्योति के पिता हेम चंद चौरसिया ने 17 फरवरी, 1997 को गोंडा में नौकरी नहीं मिलने के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पान की दुकान खोली थी। बाद में साल 2000 में हेमचंद चौरसिया अपने दोनों बच्चों को पढ़ाई के लिए गोंडा ले आए।

छठे प्रयास में सफल हुई

ज्योति ने गोंडा में अपनी शिक्षा पूरी की और यूपीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए लखनऊ चली गईं। वित्तीय संघर्षों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अंत में अपने छठे प्रयास में सफल हुई। ज्योति की इच्छा एक प्रतिष्ठित नौकरी हासिल करने और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की सेवा करने की थी। उनकी इस उपलब्धि का उनके परिवार, दोस्तों और गोंडा के लोगों ने जश्न मनाया है।

कर्ज अदा कर दिया

ज्योति के एडीएम बनने पर पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि काम नहीं मिलने के चलते 1997 में मैंने पान की दुकान खोली थी। खराब आर्थिक स्थिति के चलते मैं अपने बेटे को ज्यादा नहीं पढ़ा पाया। वो मेरे साथ दुकान पर बैठने लगा. बेटी पढ़ने में अच्छी थी तो उसे आगे पढ़ाया। जब उसने बताया कि वो सिविल की तैयारी करना चाहती है तो हमने उसे सपोर्ट किया। लोग कहते थे कि बेटा, माता-पिता का कर्ज नहीं चुका पा रहा है। लेकिन आज मैं कहता हूं कि हमारा कर्ज बेटी ने अदा कर दिया।

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