इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
राष्ट्रपति चुनाव के माध्यम से विपक्ष की एकजुट होने की योजना पर पानी फिरता दिख रहा है और इसका फायदा एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष में फूट भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और इससे द्रौपदी मुर्मू को हो रहे लाभ के कारण वह बड़ी जीत की ओर बढ़ रही हैं। शिवसेना में टूट और विपक्ष के सात दलों के समर्थन के बाद यह दावा किया जा रहा है।
द्रोपदी मुर्मू को एनडीए द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद जहां यूपीए में फूट पड़ गई है, इस बीच समाजवादी पार्टी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी मुर्मू का समर्थन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा, समाजवादी पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है और उनकी पार्टी द्रोपदी मुर्मू का समर्थन करेगी।
विपक्षी दलों में टूट के चलते तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी ऊहापोह की स्थिति में है। बता दें कि टीएमसी ने ही विपक्ष के प्रत्याशी के तौर पर यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव रखा था। द्रोपदी मुर्मू का अब तक समर्थन करने वाले गैर राजग दलों में वाईएसआर कांग्रेस, सुभासपा, शिवसेना, बीजेडी, जदएस, टीडीपी, अकाली दल, कांग्रेस, बसपा और झामुमो शामिल हैं।
गौरतलब है कि इनमें से शिवसेना, टीडीपी, झामुमो और जदएस ने पहले यशवंत के नाम पर सहमति जताई थी। उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक में यह निर्णय लिया था। एनडीए के आदिवासी कार्ड के बाद ये दल द्रोपदी मुर्मू के साथ आने पर मजबूर हुए हैं। आम आदमी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव के लिए कल बैठक करेगी।
शिवसेना के ज्यादातर सांसदों ने हाल ही में बैठक के दौरान पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को द्रोपदी मुर्मू का साथ देने की सलाह दी, जिसके बाद उद्धव ने मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के झारखंड के कुछ विधायकों ने द्रोपदी मुर्मू का साथ देने का ऐलान किया है। इस तरह अब मुर्मू की जीत तय मानी जा रही है। यही देखते हुए वह बड़ी जीत की तरफ बढ़ती दिख रही है।
शिवसेना व विपक्ष के सात दलों के समर्थन में टूट के बाद द्रौपदी मुर्मू समर्थक वोटों की संख्या लगभग 6.5 लाख पहुंच रही है। बता दें कि एनडीए के पास 5,26,420 वोट हैं और पार्टी की प्रत्याशी को जिताने के लिए इसमें 13000 की कमी थी। बीजेडी के करीब 25,000, वाईएसआर कांग्रेस के लगभग 43,000 वोट साथ आने व शिवसेना में बड़ी टूट के बाद बीजेपी की समस्या दूर हो गई। हालांकि, मुर्मू अभी मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तुलना में कम वोट हासिल करती दिख रही हैं। बीते चुनाव में उन्हें लगभग 7.2 लाख वोट मिले थे।
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