INDIA NEWS (इंडिया न्यूज़) New Parliament Inauguration: विपक्ष के 19 दलों ने बुधवार को ऐलान किया है कि वे संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करेंगे। बता दें, विपक्ष के कुनबे सामूहिक बहिष्कार पर सफाई दी है कि ‘इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है और समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखकर अशोभनीय कार्य किया है।’ मालूम हो, समूचे विपक्ष ने एक संयुक्त बयान में यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है। विपक्ष द्वारा किये जा रहे बहिष्कार के क्रम में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी संसद भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

क्यों करना चाहिए राष्ट्रपति को संसद भवन का उद्घाटन

बता दें, आम आदमी पार्टी से राज्य सभा सांसद राघव चड्ढा ने एक ट्वीट करते हुए कहा है कि नई संसद का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को क्यों करना चाहिए? उन्होने कहा कि भारत के संसदीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति की स्थिति ऐसी है कि नए संसद भवन का उद्घाटन अकेले राष्ट्रपति को ही करना पड़ता है। राघव चड्ढा ने अपने ट्वीट में राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन को लेकर 10 वजहें सामने रखी हैं।

आप सांसद राघव चड्ढा ने बताई 10 वजहें

-भारत का राष्ट्रपति सर्वोच्च पद पर आसीन होता है।
-संविधान के अनुसार राष्ट्रपति राष्ट के प्रमुख हैं।
-हर एक्जीक्यूटिव कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम पर की जाती है।
-राष्ट्रपति भारत के प्रथम नागरिक होते हैं। वो भारत की शक्ति, एकता और अखण्डता के प्रतीक हैं।
-राष्ट्रपति और दो सदनों ( लोकसभा और राज्यसभा ) से संसद बना हुआ है।
-सारी एक्सिक्यूटिव पावर राष्ट्रपति में निहित होती है। राष्ट्रपति हर वर्ष सत्र के आरम्भ में सदन को सम्बोधित भी करते हैं।
-दोनों सदनों में पास किया हुआ बिल बिना राष्ट्रपति की अनुमति के बिना अधिनियम नहीं बन सकता।
-प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
-राष्ट्र का प्रमुख होने की वजह से राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के मुकाबले एक ऊंचे पद पर होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री केवल कार्यकारी प्रमुख होते हैं।
-सभी पार्टियां संविधान की रक्षा के लिए राष्ट्रपति की तरफ ही देखती हैं, क्योंकि उन्हीने संविधान के रक्षा की शपथ ली हुई है।

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