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संसद सत्र के दौरान,आपराधिक मामले में सांसदों की गिरफ्तारी पर कोई रोक नही:राज्यसभा के सभापति

इंडिया न्यूज़(दिल्ली):राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने सदन में स्पष्ट किया कि सांसदों को सत्र के दौरान या अन्यथा किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने से कोई छूट नहीं है,नायडू ने कहा की “आपराधिक मामलों में,संसद सदस्य (सांसद) एक आम नागरिक से अलग नहीं हैं इसका मतलब है कि संसद सदस्य को सत्र के दौरान या अन्यथा किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने से कोई छूट नहीं है”

नायडू की टिप्पणी सदन के कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सदन में यह मुद्दा उठाए जाने के एक दिन बाद आई है कि उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने सत्र के दौरान तलब किया था,वेंकैया नायडू ने कहा “पिछले कुछ दिनों में जो हुआ है,उस पर चलते हुए,मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि सदस्यों के बीच एक गलत धारणा है कि उन्हें सत्र के दौरान एजेंसियों द्वारा कार्रवाई से बचने का विशेषाधिकार है”

वेंकैया नायडू ने बताया की “मैंने इस पर गम्भीरता से विचार किया है,मैंने सभी मिसालों की जांच की और मुझे अपना खुद का फैसला याद है जो पहले दिया गया था,संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत, संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं ताकि वे बिना किसी बाधा के अपने संसदीय कर्तव्यों का पालन कर सकें,एक विशेषाधिकार यह है कि किसी संसद सदस्य को दीवानी मामले में सत्र या समिति की बैठक शुरू होने से 40 दिन पहले और उसके बाद 40 दिन बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है”

छूट केवल दीवानी मामलों में

वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विशेषाधिकार पहले से ही नागरिक प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 135ए के तहत शामिल है,सभापति ने डॉ जाकिर हुसैन द्वारा 1966 में दिए गए एक निर्णय की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया जिसमें उल्लेख किया गया है कि “संसद के सदस्य कुछ विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें,ऐसा ही एक विशेषाधिकार है गिरफ्तारी से मुक्ति,जब संसद का सत्र चल रहा हो,गिरफ्तारी से मुक्ति का यह विशेषाधिकार केवल दीवानी मामलों तक ही सीमित है और यह आपराधिक कार्यवाही के मामलों में लागू नही होता है”

नायडू ने आगे कहा कि सदस्य यह भी याद कर सकते हैं कि मैंने पहले एक अवलोकन किया था और कहा था की “किसी भी सदस्य को किसी भी जांच एजेंसी के सामने पेश होने से बचना नही चाहिए,उन्हें संसद के कामो का बहाना नही बनाना चाहिए,कानून निर्माताओं के रूप में,कानून और कानूनी प्रक्रियाओं का सम्मान करना हमारा बाध्य कर्तव्य है। यह सभी पर लागू होता है सभी मामलों में,आप केवल यह सूचित कर सकते हैं कि सदन सत्र में है इसलिए आगे की तारीख दी जाए, लेकिन आपको प्रवर्तन एजेंसियों या कानून लागू करने वाली एजेंसियों के समन या नोटिस से बचना नही चाहिए,यह सभी को ध्यान में रखना होगा”

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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