इंडिया न्यूज, New Delhi News। Goodfellow Startup : मंगलवार को गुडफेलो नामक एक स्टार्टअप शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य सीनियर सिटीजन की मदद करना है। ग्रेजुएट्स युवा सीनियर सिटीजन के साथ जुड़ सकें, उनके बीच दोस्ती हो सके और युवा, बुजुर्गों की मदद कर सकें, इसके लिए गुडफेलो नाम के स्टार्टअप को लॉन्च किया गया। इसे टाटा सन्स के चेयरमैन एमिरेट्स रतन टाटा के युवा दोस्त शांतनु नायडू ने शुरू किया है। स्टार्टअप में रतन टाटा ने इन्वेस्टमेंट किया हुआ है।
गुडफेलोज युवा, शिक्षित स्नातकों के माध्यम से वरिष्ठों को प्रामाणिक सार्थक सहयोग प्रदान करता है। स्टार्टअप की लॉन्चिंग के मौके पर रतन टाटा, एक्टर श्रिया पिलगांवकर, कंटेंट क्रिएटर विराज घेलानी सहित कुछ उल्लेखनीय यूथ आइकन्स मौजूद रहे।
निवेश पर टिप्पणी करते हुए रतन एन टाटा ने कहा कि गुडफेलोज द्वारा दो पीढ़ियों के बीच क्रिएट किए गए बॉन्ड्स बहुत सार्थक हैं और भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को हल करने में मदद कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि निवेश से गुडफेलोज में युवा टीम को बढ़ने में मदद मिलेगी। गुडफेलोज में रतन टाटा का कितना निवेश है, इस बारे में खुलासा नहीं हुआ है। रतन टाटा स्टार्टअप्स के सक्रिय समर्थक रहे हैं।
गुडफेलोज के फाउंडर 25 वर्षीय शांतनु नायडू, टाटा के कार्यालय में महाप्रबंधक हैं और 2018 से टाटा की सहायता कर रहे हैं। 84 वर्षीय टाटा ने नायडू के विचार की सराहना करते हुए कहा कि जब तक आप वास्तव में बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़े होने का मन नहीं करता।
उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छे स्वभाव वाला साथी प्राप्त करना भी एक चुनौती है। नायडू ने टाटा को एक बॉस, एक संरक्षक और एक मित्र के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में 5 करोड़ बुजुर्ग हैं, जो अकेले हैं।
बता दें कि स्टार्टअप गुडफेलोज, वरिष्ठ नागरिक ग्राहकों के साथी के रूप में काम करने के लिए युवा स्नातकों को काम पर रखता है। कंपनी मुंबई में अपने बीटा फेज में पिछले छह महीनों से 20 बुजुर्गों के साथ काम कर रही है और आगे पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में सेवाएं देने की योजना बना रही है।
नायडू ने कहा कि वह पूरे देश में विस्तार करना चाहते हैं लेकिन वह गुणवत्ता से समझौता किए बिना धीमी गति से आगे बढ़ना पसंद करेंगे। बीटा टेस्टिंग फेज के दौरान गुडफेलोज को युवा स्नातकों के 800 से अधिक आवेदनों के साथ सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। इनमें से से 20 युवाओं के एक शॉर्टलिस्टेड समूह ने मुंबई में बुजुर्गों को सहयोग प्रदान किया।
वरिष्ठ नागरिक thegoodfellows.in पर साइन-अप करके गुडफेलोज की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं या 91 8779524307 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं या स्टार्टअप का इंस्टाग्राम हैंडल देख सकते हैं। जहां तक सर्विसेज की बात है तो एक गुडफेलो वही करता है जो एक पोता/पोती करता है।
भारत में 1.5 करोड़ बुजुर्ग अकेले रह रहे हैं, या तो साथी के खोने के कारण, या परिवार के अपरिहार्य कार्य कारणों से दूर जाने के कारण। अकेलापन या किसी के साथ की कमी का मुद्दा उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बिगड़ने का प्राथमिक कारण रहा है।
शांतनु नायडू का कहना है कि कंपैनियनशिप का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है। कुछ लोगों के लिए इसका मतलब फिल्म देखना, अतीत की कहानियां सुनाना, सैर पर जाना या एक साथ बैठकर कुछ न करना है और हम यहां सब कुछ समायोजित करने के लिए हैं।
हमारे उद्यम में रतन टाटा का निवेश इस अवधारणा के प्रति हमारे समर्पण को प्रोत्साहन का एक बड़ा स्रोत है। गुडफेलोज मासिक कार्यक्रमों की मेजबानी भी करता है, जो बुजुर्गों के आनंद और जुड़ाव के लिए क्यूरेट किए जाते हैं। वे इसमें अपने गुडफेलो के साथ भाग लेते हैं।
गुडफेलोज का बिजनेस मॉडल एक फ्रीमियम सब्सक्रिप्शन मॉडल है। ग्रैंडपाल को इस सेवा का अनुभव कराने के लक्ष्य के साथ पहला महीने का सब्सक्रिप्शन मुफ्त है।
दूसरे महीने के बाद एक छोटी सब्सक्रिप्शन फीस रहेगी जो पेंशनभोगियों के सीमित सामर्थ्य के आधार पर तय की गई है। गुडफेलोज नौकरी की तलाश कर रहे स्नातकों को अल्पकालिक इंटर्नशिप के साथ-साथ रोजगार भी प्रदान करता है।
आने वाले वक्त में गुडफेलोज सीनियर सिटीजन को सफर के साथी की पेशकश भी करेगा। यह उन लोगों के लिए काफी मददगार होगा, जो सिक्योरिटी या किसी के साथ की कमी की वजह से ट्रैवल नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा स्टार्टअप की योजना अपनी सर्विसेज को दिव्यांग समुदाय के लिए विस्तारित करने की भी है।
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