Russia-Ukrain War: रूस-यूक्रेन युद्ध को आज पूरे एक साल हो गए हैं और दोनों के बीच जंग अभी भी जारी है। माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन दोनों हीं देशों में हताहतों की संख्या लगभग 3 लाख है। गौरतलब है कि कोरोना काल के बाद जब पूरी दुनिया अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में लगे हुए थे, तब 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया था। रूस ने शुरुआती महीनों में यूक्रेन की राजधानी कीव और खारकीव में भयंकर तबाही मचाई। हालात बिगड़ते देख अमेरिका और NATO देश यूक्रेन के साथ खड़े हो गए। अमेरिका और NATO देश ने यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद का सिलसिला शुरू हुआ। इन मददों से उत्साहित यूक्रेन ने रूस पर पलटवार किया और उनके टैंकों उड़ाए। कई कब्जाए शहरों पर फिर कब्जा किया। शह और मात का ये खेल चलते चलते पूरा एक साल हो गया हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच ये जंग अभी खत्म नहीं हुई है। रूस ने आने वाले समय में और ज्यादा हमलों की चेतावनी दे दी है। रूस ने बीते एक साल में यूक्रेन के कई अहम शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया। वहीं यूक्रेन ने जवाबी कार्रवाई लगातार जारी रखा और जहां रूस कमजोर पड़ा उस शहर पर यूक्रेन ने फिर अपना कब्जा कर लिया। इस बीच रूस ने आने वाले समय में हमलों को और तेज करने की चेतावनी दे दी है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अचानक यूक्रेन पहुंचकर सबको हैरान कर दिया और कीव को नए हथियारों की खेप देना का ऐलान कर दिया। रूस को यह धमकी भी दे डाली कि NATO यूक्रेन के साथ खड़ा है। अब तो चीन भी खुलेआम रूस का समर्थन करने लगा है।
एक साल के दौरान रूस-यूक्रेन को इस युद्ध की वजह से काफी उठाना पड़ा है। खासकर दोनों देशों के सैनिक बड़ी संख्या में मारे गए। यूक्रेनी सेना ने दावा किया कि युद्ध शुरू होने के बाद से उसकी सेना ने 3350 रूसी टैंक, 6593 बख्तरबंद वाहन, 2352 तोपें, 471 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम, 244 एंटी-एयर सिस्टम, 299 विमान, 287 हेलीकॉप्टर, 2029 ड्रोन, 18 युद्धपोत और 5215 अन्य वाहन को नष्ट कर दिया है। युद्ध में रूस के 1,45,850 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है। हालांकि, रूस की न्यूज वेबसाइट मॉस्को टाइम्स ने बताया है कि 17 फरवरी 2023 तक रूस के 14,709 सैनिक मारे जा चुके हैं।
दुनिया की इकोनॉमी पर रूस-यूक्रेन जंग का काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। कोरोना से दुनिया जब उबर रही थी और अपनी इकोनॉमी सुधारने में लगी हुई थी, तभी दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी गहरी चोट पहुंचाई। IMF यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल वैश्विक जीडीपी ग्रोथ 3.2 फीसदी होने का अनुमान लगाया था, जिसे अब घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया गया है। 2024 में यह 3.4 फीसदी होने का अनुमान है।
बता दे कि दुनिया की सबसे ज्यादा गेहूं की पैदावार रूस और यूक्रेन के बेल्ट में होती है। दुनिया का करीब 25 फीसदी गेहूं इन दोनों देशों में होता है। कई देशों में इस युद्ध की वजह से गेहूं की किल्लत होने लगी है। जंग के हालातों के बीच यूक्रेन से गेहूं इन देशों तक पहुंच ही नहीं पा रहा है। खासकर अफ्रीकी देशों और मिडिल ईस्ट यानी खाड़ी देशों में खाद्यान्न के लिए हाहाकर मचा हुआ है।
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