इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर वीर सावरकर को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है। राहुल ने कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और उनके डर की वजह से उनसे माफी भी मांगी थी। लेकिन महात्मा गांधी जी, नेहरू और सरदार पटेल ने कभी ऐसा नहीं किया। राहुल ने इस दौरान सावरकर की एक चिट्ठी भी पढ़कर सुनाई। जिसमें लिखा, ‘सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं।’

राहुल गांधी ने आगे कहा कि बीजेपी नेता अगर इस चिट्ठी को देखना चाहते हैं तो वह देख लें। राहुल गांधी ने सावरकर के ‘माफीनामे’ की एक चिट्ठी दिखाते हुए दावा किया कि उन्होंने अंग्रेजों की मदद की और गांधी जी-नेहरू-पटेल को धोखा दिया। उन्होंने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कहा था, ‘सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं’ राहुल ने यह दावा किया कि जब सावरकर ने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए तो उसका कारण डर था। अगर वह डरते नहीं तो वह कभी हस्ताक्षर नहीं करते। इससे उन्होंने महात्मा गांधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा किया।” उन्होंने कहा कि देश में एक तरफ महात्मा गांधी की विचारधारा है और दूसरी सावरकर से जुड़ी विचारधारा है।

बीजेपी पर लगाया देश में नफरत फ़ैलाने का आरोप

वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होने से जुड़े सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि यह भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है। राहुल ने कहा कि मोदी सरकार ने संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है और डर, नफरत का माहौल फैला रही है। ऐसे में इस यात्रा के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।उन्होंने कहा, ‘भारत में पिछले 8 साल से डर का माहौल है। नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। शायद भाजपा के नेता किसानों और युवाओं से बात नहीं करते। अगर वो बात करते तो पता चलता कि युवाओं और किसानों को आगे रास्ता नजर नहीं आ रहा है. इस माहौल के खिलाफ खड़े होने के लिए हमने यह यात्रा शुरू की है।”

राहुल का सरकार पर हमला

राहुल गांधी ने कहा कि अगर सरकार को लगता कि इस यात्रा से देश को नुकसान हो रहा तो वह रोकने का प्रयास क्यों नहीं करती। इस यात्रा में लाखों की संख्या में लोग हो रहे हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि आमतौर पर लोकतंत्र में एक राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल से लड़ता है। संस्थाएं इस लड़ाई के मैदान में निष्पक्षता कायम रखती हैं। आज ऐसा नहीं है आज एक तरफ देश की सभी संस्थाएं खड़ी हैं तो दूसरी तरफ भाजपा का मीडिया, संस्थाओं पर नियंत्रण है। मोदी सरकार में न्यायपालिका पर दबाव डाला जाता है।”