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नहीं रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

Naresh Kumar • LAST UPDATED : September 11, 2022, 6:51 pm IST

इंडिया न्यूज, New Delhi News। Shankaracharya Swaroopanand Saraswati : द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया है। वह 99 साल के थे। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर स्थित झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में रविवार को दोपहर में साढ़े 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

राम मंदिर के लिए लड़ी थी कानूनी लड़ाई

शंकराचार्य ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। अंतिम समय में शंकराचार्य के अनुयायी और शिष्य उनके समीप थे। उनके बृह्मलीन होने की सूचना के बाद आसपास के क्षेत्रों से भक्तों की भीड़ आश्रम की ओर पहुंचने लगी।

पोथीराम था बचपन का नाम

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज नौ साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तरप्रदेश के काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रुप में प्रसिद्ध हुए थे। क्योंकि उस समय देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी।

स्वामी स्वरूपानंद ने ली दंड दीक्षा

स्वामी स्वरूपानंद ने साल 1950 में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। साल 1950 में ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दंड-संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।

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