इंडिया न्यूज़ : अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ सड़क से संसद तक मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे को लेकर सरकार से सवाल पूछे रहे हैं। वहीं कांग्रेस के साथ ही कई विपक्षी दल भी अडानी ग्रुप के खिलाफ जेपीसी (JPC) की मांग कर रहे हैं। वहीं इस मामले में महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने कांग्रेस की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। बता दें, एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने अडानी समूह मामले पर कांग्रेस से अपनी अलग ही राय रखी है। उन्होंने गौतम अडानी का समर्थन करते हुए कहा कि एक इंडस्ट्रियल ग्रुप (Industrial Group) को टारगेट किया जा रहा है। इतना ही नहीं पवार ने यहाँ तक कहा है कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग बेकार है।
‘JPC की जांच सुप्रीम कोर्ट के अधीन हो’
बता दें, अडानी मामले में शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक उपयुक्त और अत्यधिक प्रभावी होगी। मालूम हो, इस मामले में पवार ने पत्रकारों से यह भी कहा है कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति पर संदेह पैदा करेगा।
बता दें, पवार ने कहा है कि, ‘‘मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं। कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष रहा हूं। जेपीसी का गठन (संसद में) बहुमत के आधार पर किया जाएगा। जेपीसी के बजाय, मेरा विचार है कि उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी।’’
मुद्दे को जरुरत से ज्यादा दिया गया महत्व
मालूम हो,एक निजी समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में पवार ने अडाणी समूह के समर्थन में सामने आए और इस समूह पर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट को लेकर बयानबाजी की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के बयान पहले भी अन्य लोगों ने दिए हैं और कुछ दिनों तक संसद में हंगामा भी हुआ है, लेकिन इस बार इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया।’’