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Maharashtra Political Crisis: उद्धव ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो बहाल होती सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल को खूब सुनाया

India News (इंडिया न्यूज़), Maharashtra Political Crisis, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंपा दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2016 का नबाम रेबिया मामले को बड़ी बेंच के पास सौंपा जाता है। फैसले में कहा गया था कि स्पीकर अयोग्य ठहराने की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुच्छेद 212 के तहत व्हिप को मान्यता देकर स्पीकर की कार्रवाई की वैधता की जांच करने से अदालतों को बाहर नहीं किया जा सकता।

  • राज्यपाल का फैसला संविधान अनुसार नहीं
  • उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट फेस नहीं किया
  • बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाना सही

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि यह देखा गया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया। इसलिए सबसे बड़े दल भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल द्वारा उचित ठहराया गया।

सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष –

1. विधायक को सदन की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होता है, राजनीतिक दल न कि विधायक दल व्हिप नियुक्त करता है।

2. एक विशेष तरीके से मतदान करने का निर्देश राजनीतिक दल द्वारा जारी किया जाता है न कि विधायक दल द्वारा।

3. सदन में बहुमत साबित करने के लिए ठाकरे को बुलाना राज्यपाल के लिए उचित नहीं था।

4. यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि श्री ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और इस्तीफा दे दिया और इस तरह राज्यपाल का भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाना सही था।

5. राज्यपाल का एकनाथ शिंदे को भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए बुलाना सही था।

राज्यपाल का काम संविधान अनुसार नहीं

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए। गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। राज्यपाल के पास विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ सामग्री नहीं थी, फ्लोर टेस्ट अंतर या पार्टी के भीतर के विवाद को हल करने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।

केवल गुट बनाया

कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से दिए जवाब में कही भी संकेत नहीं दिया कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते थे। अगर यह मान भी लिया जाए कि विधायक सरकार से बाहर होना चाहते थे, तो उन्होंने केवल एक गुट का गठन किया। राज्यपाल के पास भरोसे का ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग भारत के संविधान के अनुसार नहीं था।

संकट की पूरी टाइमलाइन

20 जून– राज्य में एमएलसी के चुनाव हुए, शिवसेना के कई विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट किया। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी।

21 जून– शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है और वह विधायकों को लेकर सूरत चले गए। मुंबई से सूरत की दूरी सिर्फ महज पांच घंटे की है। मुंबई से कई शिवसेना नेता इन विधायकों से मिलने पहुंचे।

22 जून- शिंदे विधायकों को लेकर सूरत से असम की राजधानी गुवाहटी चले गए।

25 जून– तब महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर का पद खाली था। डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवल ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। दो दिन का समय नोटिस का जवाब देने के लिए दिया गया। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

27 जून– सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा) बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली और तब कोर्ट ने 12 जून तक नोटिस का जवाब देने के लिए समय दिया था।

28 जून– तब विपक्ष के नेता देवेद्र फडणवीस सुबह दिल्ली पहुंचे शाम को मुंबई, राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी से मुलाकात की सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को 30 जून तक बहुमत साबित करने के लिए कहा। उद्धव गुट इस फैसले के खिलाफ SC पहुंचा।

29 जून– सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे फेसबूक पर लाइव आए और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

30 जून– एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए.

3 जुलाई– विधानसभा के नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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