दिल्ली (supreme court delivered ayodhya verdict under pressure of central govt says congres leader): केंद्र सरकार ने देश में 13 राज्यपालों की नियुक्ति और तबादला किया हैं। राज्यपालों की लिस्ट मे एक नाम सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एस अब्दुल नजीर का भी हैं। अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्ति किया गया हैं। नजीर को राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद उनके द्वारा दिए गए फैसलों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जाने लगे है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने नजीर को राज्यपाल नियुक्त करने के बहाने अयोध्या फैसले पर सवाल उठा दिया हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला केंद्र सरकार के दबाव में सुनाया था।
न्यायमूर्ति नज़ीर उस पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अंतिम फैसला सुनाया था। अल्वी ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने बयाना में कहा कि “न्यायपालिका को हमारे संविधान के अनुच्छेद 50 के तहत कार्यपालिका से स्वतंत्र होना चाहिए लेकिन लोग सवाल उठा रहे है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के दबाव में फैसला दिया।” अल्वी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का आरोप लगाया और कहा कि न्यायमूर्ति नजीर को आंध्र के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने से न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हुआ है।
इस साल रिटायर हुए थे नज़ीर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नज़ीर को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। न्यायमूर्ति नज़ीर 4 जनवरी, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में रिटायर हुए थे। ट्रिपल तालक, अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद, नोटबंदी मामले सहित कई ऐतिहासिक निर्णयों का अब्दुल नज़ीर हिस्सा थे।
गोगोई के राज्यसभा का जिक्र
कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को दी गई राज्यसभा सीट का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को न्यायपालिका को पूरी तरह से स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए कि न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र हो और उसका कार्यपालिका से कोई लेना-देना न हो।