India News (इंडिया न्यूज़), Godhara train Burning, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले में आठ दोषियों को जमानत दे दी। हालांकि शीर्ष अदालत ने अन्य चार दोषियों की भूमिका को देखते हुए उनकी जमानत अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आठों दोषियों को जमानत दे दी।

  • हाईकोर्ट ने 31 को दोषी ठहराया
  • इन लोगों ने 17 साल जेल में काटे
  • पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी थी

ये आठ लोग वे थे जिन्हें दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और ट्रायल कोर्ट के आदेश से उनकी सजा को बरकरार रखा गया था। शीर्ष अदालत ने पहले उन अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया है और राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की है।

17 साल जेल में काटे

गुजरात सरकार ने दोहराया कि 2002 के गोधरा ट्रेन कोच जलाने के मामले के दोषी गंभीर अपराधों में शामिल थे क्योंकि उन्होंने पथराव किया और ट्रेन के दरवाजे को बंद कर दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है, बल्कि आरोपियों ने ट्रेन के दरवाजे को बाहर से बंद किया और फिर पथराव किया। दोषियों के वकीलों ने कहा कि उन्होंने 17 साल जेल में काटे हैं।

31 को हुई थी सजा

27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आग लगने से लगभग 58 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना से गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे थे। 2011 में एक स्थानीय अदालत ने 31 अभियुक्तों को दोषी ठहराया और 63 लोगों को बरी कर दिया। 11 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई गई जबकि बाकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। बाद में गुजरात उच्च न्यायालय 11 की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

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