नोटबंदी पर आएगा 2 जनवरी के दिन सुप्रीम Verdict, संविधान पीठ के दो जज पढ़ेंगे अलग-अलग फैसला

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : मोदी सरकार ने साल 2016 में नोटबंदी का फैसला लिया था जिसमें 500 और हजार के नोट बैन कर दिए गए थे। सरकार के इस फैसले की कई लोगों ने आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई। अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ उन याचिकाओं पर फैसला सुनाने वाली है। नए साल के दूसरे दिन यानी दो जनवरी को संविधान पीठ के दो जज नोटबंदी पर अलग-अलग फैसला पढ़ेंगे। इससे पहले 7 दिसंबर को पीठ ने फैसला सुरक्षित किया था।

जानकारी दें, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के जजों ने नोटबंदी को लेकर दो अलग-अलग फैसले सुरक्षित रख लिए हैं। एक फैसला जस्टिस बीआर गवई और दूसरा जस्टिस बीवी नागरत्ना पढ़ेंगी। अब देखना ये होगा कि एक ही संविधान पीठ में सुनाए जाने वाले दो अलग-अलग फैसले एक दूसरे से कितने अलग होते हैं। इस दरम्यान ये भी देखना दिलचस्प होगा कि सरकार के 6 साल पहले लिए गए फैसले को संविधान पीठ में शामिल कितने जज सही मानते हैं और कितने खामियां निकालते हैं या किन बिंदुओं पर मतभिन्नता रहती है। लेकिन जिस फैसले के पक्ष में तीन या तीन से अधिक जज शामिल होंगे, वही फैसला लागू होगा।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी

जानकारी दें, 8 नवंबर, 2016 की आधी रात से लागू किए गए केंद्र सरकार के नोटबंदी यानी विमुद्रीकरण के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा समेत कुल 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ नए साल 2023 के दूसरे दिन फैसला सुनाएगी। मालूम हो, संविधान पीठ ने नोटबंदी पर सभी पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ज्ञात हो, संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर फैसले के दो दिन बाद 4 जनवरी को रिटायर हो जाएंगे। जबकि फैसला पढ़ने वाले जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना, दोनों 2025 और 2027 में भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कही ये बात

ज्ञात हो, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वह सिर्फ इसलिए हाथ जोड़कर नहीं बैठेगी क्योंकि यह एक आर्थिक नीति का फैसला है और कहा था कि वह उस तरीके की जांच कर सकती है जिसमें फैसला लिया गया था। संविधान पीठ ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को निर्णय से संबंधित दस्तावेज और फाइलें पेश करने को कहा। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि निर्णय के प्रभावों को पूर्ववत नहीं किया जा सकता है, लेकिन अदालत को अचानक लिए जाने वाले ऐसे फैसलों के लिए भविष्य के लिए कानून निर्धारित करना चाहिए, ताकि “समान दुस्साहस” भविष्य की सरकारों द्वारा दोहराया न जाए।

Ashish kumar Rai

Recent Posts

Delhi Crime News: दिल्ली- NCR में ‘बैंड बाजा बारात’ गैंग का खुलासा, हाई प्रोफाइल शादियों को बनाते थे निशाना

India News (इंडिया न्यूज),Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक शातिर गिरोह…

4 minutes ago

अस्पताल के शौचालय में पैदा हुआ बच्चा, दर्द से तड़पती रही मां, हैवान बनकर आया कुत्ता और मुंह में दबाकर…

Stray Dog in West Bengal: पश्चिम बंगाल के बांकुरा के सोनामुखी ग्रामीण अस्पताल में एक…

6 minutes ago

Sambhal Jama Masjid Case: जुमे की नमाज से पहले हाई सिक्योरिटी तैनात! सर्वे के आदेश पर पुलिस-PAC तैयार

India News (इंडिया न्यूज), Sambhal Jama Masjid Case: यूपी के संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद…

12 minutes ago

कुर्सी पर बैठने से पहले ट्रंप की बड़ी बदनामी, बच्चों के साथ गंदा काम करने की आरोपी बनी वजह, मामला जानकर सदमे में अमेरिका वासी

Trump Education Secretary: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शिक्षा सचिव के लिए नामित…

20 minutes ago

UK Weather News: उत्तराखंड में ठंड बढ़ने से लोग परेशान, दो जिलों में घने कोहरे का अलर्ट

India News (इंडिया न्यूज),UK Weather News: उत्तराखंड के सभी जिलों में इन दिनों मौसम शुष्क बना…

39 minutes ago

पटना में JDU कार्यालय पर ग्राम रक्षा दल का घेराव! जमकर किया हंगामा, जानें मामला

India News (इंडिया न्यूज), JDU Office: पटना में जदयू प्रदेश कार्यालय का घेराव करने के…

47 minutes ago