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Taj Corridor: ताजा कॉरिडोर मामले में बढ़ सकती है मायावती की मुश्किलें, एनपीसीसी ने दी मंजूरी

India News (इंडिया न्यूज़), Taj Corridor, लखनऊ: साल 2002-2003 में 175 करोड़ रुपये का ताज हेरिटेज कॉरिडोर घोटाला बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को फिर परेशान करने लगा है। मायावती तब राज्य की मुख्यमंत्री थीं। वही तत्कालीन सिंचाई मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी जांच के राडर पर है। नसीमुद्दीन इस वक्त कांग्रेस में है। मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पहली अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर ली है।

  • मायावती तब सीएम थी
  • ताजमहल के पास होना था निर्माण
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय विकास एजेंसी राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम (एनपीसीसी) ने महाप्रबंधक (अब सेवानिवृत्त) महेंद्र शर्मा परमकुदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। कॉरिडोर का मकसद ताजमहल के पास पर्यटक सुविधाओं को उन्नत करना था।

मंजूरी मिल गई

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई के अभियोजन अधिकारी अमित कुमार ने नवंबर 2022 में मामले में शर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी का अनुरोध किया और एनपीसीसी ने पिछले महीने मंजूरी दे दी।

2007 में नहीं मिली मंजूरी

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तत्कालीन राज्य के राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने जून 2007 में बसपा के फिर से सत्ता में आने के बाद मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार कर दिया था। तब कहा गया था कि उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अपर्याप्त सबूत थे। जिसके बाद सीबीआई ने 2008 में मामले में आगे की कार्यवाही बंद कर दी।

उच्च न्यायालय ने नहीं दी इजाजत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने नवंबर 2012 में मुकदमा चलाने की मंजूरी के अभाव में मामले को बंद करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने मामले की जांच करने पर सहमति जताई और संबंधित पक्षों को जनवरी 2013 में अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया

मामले में उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई थी और मामले में आगे की कार्यवाही अभी भी लंबित है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।

कई धाराओं में मामला दर्ज

सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जाली दस्तावेजों का उपयोग करना) और 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत एक नियमित मामला दर्ज किया था। इसके अलावा, प्राथमिकी में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के तहत आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप भी शामिल थे।

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Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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