इंडिया न्यूज़ (कोच्ची): तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने कोच्ची में “आंतरिक सुरक्षा के लिए समसामयिक चुनौतियां” विषय पर एक कार्यक्रम को सम्बोधित किया,राज्यपाल ने कहा की 26/11 के मुंबई हमले के बाद पूरा देश सदमे में था,आंतकियो ने हमला करके पूरे देश को अपमानित किया था,लेकिन हमले के 9 महीने बाद ही दोनों देशों ने एक साझा बयान जारी किया की दोनों आंतकवाद के पीड़ित है.
राज्यपाल ने कहा की क्या हमे शत्रु का बोध है? पाकिस्तान दोस्त या है दुश्मन? हमें तो यह अच्छी तरह पता है,मुश्किल तब होती है जब आप दोनों में बीच में भ्रमित होते है.
2008 मुंबई हमले में लश्कर-ए-तैयबा ने 12 ठिकानों पर हमला किया था,इसमें 174 लोगों की मौत हुए थी और करीब 300 लोग घायल हुए थे.
राज्यपाल ने इस कार्यक्रम में आगे बोलते हुए कहा की पुलवामा में हमला हुआ तो हमने बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया,सन्देश साफ़ था अगर आप आतंकवाद फ़ैलाने का काम करेंगे तो आपको इसकी किम्मत चुकानी पड़ेगी.
राज्यपाल ने मनमोहन सिंह सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा की उस समय देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा था माओवाद,उस समय यह 185 जिलों में फ़ैल गया था,रेड कॉरिडोर की बात होती थी,स्थिति बहुत खतरनाक थी,आज यह कुछ जिलों तक में सीमित हो चुका है.
कश्मीर पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा की आज हिंसा को लेकर जीरो टॉलरेंस है,अगर आप बंदूक उठाते है तो उसका जवाब भी बन्दुक से मिलता है,उन लोगों से कोई बातचीत नही किया जाता जो देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की बात करते है,पिछले आठ साल में किसी अलगावादी हथियारबंद संगठनों से बातचीत नही की गई,अगर की गई तो सिर्फ आत्मसमर्पण को लेकर.
जम्मू कश्मीर में जिन लोगों की वजह से हज़ारो लोग मारे गई,वैसे अलगावादी जब दिल्ली आते थे तो प्रधानमंत्री उनसे मिलते थे,उनसे हाथ मिलाते थे,नार्थ ईस्ट में जिन्होंने हज़ारो लोगों को मारा हम उनसे बात करते थे,उनसे हिंसा खत्म करने को बोलते थे,आज ऐसे लोगों से कोई समझौता,कोई बातचीत नहीं की जाती.