श्रद्धा मर्डर केस सुर्खियों में है इस कत्ल की कहना ने सबको हैरान कर दिया है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि श्रद्धा ने यदि थोड़ी सी समझदारी से काम ली होती तो वो जिंदा होती। पार्टनर्स में अनबन होना एक आम बात है लेकिन यदि आपका पार्टनर अपनी हदें भुलने लगे तो खूद को संभालना और उसके इरादों से वकिफ बेहद जरूरी होता है। श्रद्धा शायद यहीं चुक गई श्रद्धा ने आफताब के नजदीक रहते हुए उसकी उन हरकतों को नजरअंदाज किया जो बेहद खतरनाक थीं।
लड़ाई के दौरान जब आफताब ने श्रद्धा को चोट पहुचाई उसी समय श्रद्धा को उसके इरादें को समझना था सूझ बूझ के साथ काम लेना था। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि अपने पार्टनर के वायलेंट रवैयै को नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है। जैसा कि श्रद्धा की हत्या की शक्ल में सामने आया है।
दरअसल मारपीट और आफताब के व्यवहार के बाद श्रद्धा को चुप नहीं बैठना चाहिए था उसको दोस्तो और रिश्तेदारों को जरिए आफताब की काउंसलिंग करनी चाहिए थी। जरुरत इस बात की थी धीरे धीरे आफताब से दूरी बनाई जाती और करीबी दोस्तों को उसके व्यवहार की जानकारी साझा की जाती।
गौरतलब है आफताब और श्रद्धा मई महीने में महरौली में एक फ्लैट में शिफ्ट हुए थे। इसके बाद दोनों के बीच 18 मई को झगड़ा हुआ था। आफताब ने गला दबाकर श्रद्धा की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसके शव के 35 टुकड़े किए। फिर वो अगले एक महीने तक टुकड़ों को ठिकाने लगाता रहा।
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