इंडिया न्यूज, नई दिल्ली न्यूज। International Road Federation: लाख कोशिशों के बावजूद सड़क दुर्घटनाएं और मौतों का आंकड़ा कम होता नहीं दिख रहा है, बल्कि गंभीर दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने लगी है। लोग बेपरवाह हैं और नियम कानून को लागू करवाने वाली एजेंसियां निष्क्रिय। दुर्घटनाओं को नियति माना जाना लगा है, लेकिन बहुत जल्द उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत सात राज्य और जोधपुर शहर राह दिखा सकते हैं। इन राज्यों में इंटरनेशनल रोड फेडरेशन और प्रदेश सरकार मिलकर निश्चित सड़क और निश्चित दूरी के बीच एक अभियान चला रही है।
इसमें क्रियान्वयन और जागरूकता को सौ प्रतिशत लागू करने की कोशिश हो रही है। रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि दुर्घटनाओं पर कितना काबू पाया जा सकता है।
इसी तरह जोधपुर के एमबीएम विश्वविद्यालय के साथ मिलकर 2024 के अंत तक जोधपुर को ऐसा शहर बनाने का समझौता हुआ है, जिसमें वहां दुर्घटना से एक भी मौत न हो। संभव है कि अगले साल तक सरकार को सड़क सुरक्षा का प्रमाणित रोडमैप मिल जाए।
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के अध्यक्ष केके कपिला ने बताया कि सात राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से सात-आठ महीने पहले 100-150 किलोमीटर लंबी सड़क का ऐसा भाग बताने को कहा गया था, जहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं।
राज्यों ने तत्काल उत्तर दिया और सहयोग का वादा भी किया। उसके बाद उन भागों पर नियम कायदों का सख्ती से पालन शुरू किया गया है। इन राज्यों में उन हादसों को भी केस स्टडी के रूप में लिया गया है, जिनमें कार या अन्य छोटे वाहन भिड़ंत होने पर ट्रक, टैंकर और कंटेनर जैसे बड़े वाहनों में नीचे घुस जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में छोटी गाड़ी में सवार लोगों की जान जाने की प्रबल आशंका रहती है।
इसके मद्देनजर ही संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में प्रविधान भी किया गया है कि अब जो भी नए बड़े वाहन कंपनियां बनाएंगी, उनमें ऐसे मजबूत गार्ड लगाए जाएं, ताकि छोटी गाड़ियां भीषण टक्कर के बाद भी उनमें घुस न पाएं। राज्यों से कहा गया है कि पुराने बड़े वाहनों में भी गार्ड लगवा दिए जाएं। ऐसा न करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए।
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने जनता को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए रोड सेफ्टी एंथम भी तैयार कराया है। इसे सभी भारतीय भाषाओं के साथ ही कुछ विदेशी भाषाओं में भी बनवाया गया है। इसके प्रारंभिक बोल हैं-सड़क पर सावधानी पहली प्राथमिकता है।
सातों राज्यों में सड़क सुरक्षा का जो प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, उसका आधार 5-ई को ही बनाया गया है। इसमें इंजीनियच्रग आफ रोड, इंजीनियच्रग आफ व्हीकल्स, एजुकेशन, एनफोर्समेंट और इमरजेंसी केयर को शामिल किया गया है। ये हैं सात राज्यों में चिह्नित राष्ट्रीय राजमार्गो के हिस्से…
- उत्तर प्रदेश : मुरादाबाद से बरेली- एनएच- 09/530/ (121 किलोमीटर)
- मध्य प्रदेश : सीधी से सिंगरौली- एनएच- 39 (105 किलोमीटर)
- केरल : अरूर से कडमपट्टूकोनम- एनएच-66 (151 किलोमीटर)
- कर्नाटक : नेलामंगला से हिरियुर- एनएच- 48 (131 किलोमीटर)
- महाराष्ट्र : नागपुर से अमरावती- एनएच-53 (150 किलोमीटर)
- राजस्थान : पनियाला मोड़ से दूदू- एनएच- 48 (180 किलोमीटर)
- तमिलनाडु : कृष्णागिरि से करूर- एनएच- 44 (198 किलोमीटर)
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के अध्यक्ष ने जोर दिया है कि सड़क सुरक्षा में आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना होगा। राजमार्गों के पास ही ट्रामा सेंटर होने चाहिए। गंभीर रूप से घायलों को एयरलिफ्ट करने की सुविधा हो तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
इन सात राज्यों के अभियान में एक अभिनव प्रयोग किया गया है। हाईवे किनारे दुकान-ढाबा आदि चलाने वालों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें फ?र्स्ट एड किट उपलब्ध कराई जा रही है ताकि दुर्घटना में घायलों को घटनास्थल पर ही तुरंत प्राथमिक उपचार दिया जा सके।
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