इंडिया न्यूज़ (नई दिल्ली, Today is 21th anniversary of parliament attack): उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को संसद की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों और पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों ने भी 2001 में हुए आतंकी हमले के दौरान संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुरक्षाकर्मियों और पीड़ितों को पुष्पांजलि अर्पित की। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी सुरक्षाकर्मियों को याद किया।
राष्ट्रपति भवन के एक ट्वीट में कहा गया है, “राष्ट्र उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने 2001 में आज के दिन आतंकवादी हमले के खिलाफ संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। हम बहादुरों के साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।” केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी संसद हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी।
केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर पर कहा, “2001 में इस दिन नृशंस आतंकवादी हमले के खिलाफ हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर कर्मियों को श्रद्धांजलि। उनके सर्वोच्च बलिदान और बहादुरी को कभी नहीं भुलाया जाएगा।”
13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हमला हुआ था। इस हमले में जगदीश, मातबर, कमलेश कुमारी; नानक चंद और रामपाल, सहायक उप-निरीक्षक, दिल्ली पुलिस; ओम प्रकाश, बिजेंद्र सिंह और घनश्याम, दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल; और सीपीडब्ल्यूडी के माली देशराज ने आतंकवादी हमले के खिलाफ संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी।
अपराधी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से संबंधित आतंकियों ने 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हमला किया था, कुल पांच आतंकवादियों ने गृह मंत्रालय और संसद के स्टीकर वाली कार में संसद भवन में प्रवेश किया था।
उस समय प्रमुख राजनेताओं सहित 100 से अधिक लोग संसद भवन के अंदर थे। आतंकियों के पास एके47 राइफल, ग्रेनेड लॉन्चर और पिस्टल थे। बंदूकधारियों ने अपने वाहन से बाहर निकले और गोली चलाना शुरू कर दिया।
तब के उपराष्ट्रपति जो उस वक़्त संसद में ही मौजूद थे उनके गार्ड और सुरक्षाकर्मियों ने आतंकवादियों पर पलटवार किया और फिर परिसर के गेट बंद करने शुरू कर दिए।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि बंदूकधारियों को पाकिस्तान से निर्देश मिले थे और यह ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के मार्गदर्शन में चलाया गया था।
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