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Russian Oil: UAE और सऊदी अरब बड़े पैमाने पर रूस से खरीद रहे तेल, रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

Russian Oil: अमेरिकी नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, रूसी कच्चे तेल की बिक्री अभी भी दुनियाभर में जारी है। अमेरिका के लगातार विरोध के बाद भारत रुस से तेल खरीद रहा है वही अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दो प्रमुख तेल उत्पादक सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी सक्रिय रूप से रूसी तेल खरीद रहे हैं।

  • सस्ता खरीदने और महंगा बेचने की नीति
  • रूसी तेल निर्यात भी कर रहे
  • अमेरिका की चेतावनी को नजरअंदाज किया

भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है जबकि इसकी तुलना में भारत के पास तेल के भंडरा बहुत कम इसलिए तेल आयात करना पड़ता है। लेकिन खाड़ी देश पूरी दुनिया को तेल बेचते है फिर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात रूसी तेल का आयात क्यों कर रहे है? रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि दोनों देश स्वयं के उपभोग के लिए कम कीमत का रूसी तेल खरीद रहे हैं, जबकि अपने यहां उत्पादित कच्चे तेल को उच्च कीमत पर यूरोप और अन्य देशों में निर्यात कर रहे है।

यूएई 60 मिलियन बैरल

कमोडिटी डेटा देने वाली संस्था केप्लर के अनुसार, यूएई को रूसी तेल निर्यात पिछले साल तीन गुना से अधिक रिकॉर्ड 60 मिलियन बैरल तक पहुंच गया। तुलनात्मक रूप से, सिंगापुर में रूसी तेल निर्यात पिछले साल सिर्फ 13 प्रतिशत बढ़कर 26 मिलियन बैरल हो गया।

सऊदी 100,000 बैरल

केप्लर के अनुसार, रूस अब सऊदी अरब को प्रति दिन औसतन 100,000 बैरल निर्यात कर रहा है जबकि रूस-यूक्रेन संघर्ष के फैलने से पहले लगभग शून्य था। रूस के कच्चे तेल के निर्यात के प्रमुख उत्पाद, यूराल कच्चे तेल की कीमतें मूल्य सीमा और पश्चिम द्वारा लगाए गए अन्य प्रतिबंधों के कारण ब्रेंट क्रूड की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक कम हैं।

घरेलू बाजार की मांग

Kpler के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में सऊदी अरब ने फ्रांस और इटली को अपने डीजल निर्यात में वृद्धि की है। यह दोनों देश पहले मोटर ईंधन के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर थे। Kpler विश्लेषक विक्टर कटोना ने कहा कि रूस से सऊदी अरब के रियायती ईंधन के आयात ने बड़े पैमाने पर अपने घरेलू बाजार में मांग को पूरा किया है।

अमेरिका की अनदेखी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी सऊदी अरब और रूस के साथ संयुक्त अरब अमीरात के तेल व्यापार के बारे में चिंतित है। ग्रुप ऑफ सेवन (जी7), यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल 5 दिसंबर से रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत कैप लगाई थी। यूरोपीय संघ ने उसी समय से रूसी समुद्री तेल के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

सस्ता खरीदना महंगा बेचना

अमेरिकी विरोध के बावजूद, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात रियायती रूसी तेल का आयात कर रहे हैं। खपत और लाभ कमाने के लिए बाजार की कीमतों पर अपने स्वयं के तेल का निर्यात कर रहे हैं। गौरतलब है कि यूराल क्रूड की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा के करीब पहुंच रही हैं।

मार्केट से सस्ता रुसी तेल

आर्गोस के आंकड़ों के अनुसार, 6 अप्रैल तक काला सागर पर प्रिमोर्स्क और नोवोरोस्सिएस्क के बाल्टिक बंदरगाहों से भेजे गए यूराल क्रूड की कीमतें लगभग $55/बैरल थीं। यह आंकड़ा वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमतों से अभी भी काफी कम है जो वर्तमान में करीब 85 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

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Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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