India News (इंडिया न्यूज़), UN: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को लेकर अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है। मणिपुर में बिना कपड़ो के महिलाओं की परेड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसको लेकर अब संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सोमवार को इसको लेकर कहा कि, मणिपुर में महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाकर हुई लिंग आधारित हिंसा की खबरों और तस्वीरें काफी चिंताजनक है।
मणिपुर हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने जताई चिंता
सिर्फ इतना ही नहीं इसके साथ उन्होंने भारत सरकार को हिंसा की घटनाओं की जांच करने और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए समय से कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने मणिपुर में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन की खबरों को लेकर चिंता जताई है, जिनमें यौन हिंसा, न्यायेतर हत्याएं, जबरन विस्थापन, यातना और दुर्व्यवहार के कथित कृत्य भी शामिल हैं।
बता दें कि, भारत ने अतीत में कहा था न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं साथ ही शांति और सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी वे कदम उठा रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि, जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा व दमन को वैध बनाने के लिए आतंकवाद-रोधी कदमों के कथित दुरुपयोग से हम और चिंतित हैं।
विशेषज्ञों ने हिंसा की जांच करने का किया आग्रह
इसके साथ ही विशेषज्ञों ने भारत सरकार से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रयासों में तेजी लाने के साथ ही हिंसा की जांच करने व समय पर कार्रवाई करने और अधिकारियों सहित अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने का भी आग्रह किया है। विशेषज्ञों ने यह भी दावा किया कि, मणिपुर की हाल की घटनाएं भारत में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की बिगड़ती स्थिति की दिशा में एक और दुखद मील का पत्थर बना है।
न्यायालय द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई का विशेषज्ञों ने किया स्वागत
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने मणिपुर में वकीलों और मानवाधिकार रक्षकों द्वारा चलाए गए, तथ्य-खोज मिशन और मणिपुर की स्थिति पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई का स्वागत किया है, हालांकि प्रतिक्रिया समयबद्ध तरीके से आ सकती थी। इसके साथ ही उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से न्याय, जवाबदेही और क्षतिपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार और अन्य अभिनेताओं की प्रतिक्रिया की निगरानी जारी रखने का भी आग्रह किया है।
ये भी पढ़े- सड़क पर उतरे वकीलों का प्रदर्शन, तीन दिन न्यायिक कार्य से विरत रहकर जताया आक्रोश