इंडिया न्यूज, Chandigarh News। Amit Shah In Chandigarh : चंडीगढ़ सम्मेलन में केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि ड्रग्स की तस्करी और प्रसार किसी भी समाज के लिए बहुत घातक होता है। ड्रग्स तस्करी के बाद जब उसका प्रसार समाज में होता है तो वो पीढ़ियों को खोखला कर देता है और दीमक की तरह देश और समाज की जड़ों को खोखला करने का काम करता है।
कोई भी स्वस्थ, समृद्ध, सक्षम और सुरक्षित राष्ट्र ड्रग्स तस्करी के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपनाए बिना अपने उद्देश्य सिद्ध नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई सामाजिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
ये देश के अर्थतंत्र को खोखला बनाने का प्रयास कर रहे हैं, देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ड्रग्स के कारोबार से उत्पन्न डर्टी मनी देशविरोधी गतिविधियों में उपयोग में आती है। एक ओर ड्रग्स तस्करी और इसके प्रसार को रोककर हम आने वाली पीढ़ियों को बबार्दी से बचाना चाहते हैं, इसके साथ-साथ नशे के व्यापार से जो डर्टी मनी जेनरेट होती है, उसे देश के खिलाफ उपयोग किया जाता है, उसे रोकना भी हमारे देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तब से भारत सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति को अपनाया और धीरे-धीरे हम व्यवस्था में मौजूद छिद्रों को भरकर ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई को अभेद्य और द्रुत गति से चलने वाली लड़ाई चलने वाली लड़ाई बनाया है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कभी भी इतनी स्पष्ट दिशा और गति से ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई नहीं चली थी लेकिन आज एक स्पष्ट दिशा और तेज गति के साथ हम ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने में सफल हुए हैं। इसके परिणाम भी ए हैं। मादक पदार्थों का व्यक्ति, समाज, अर्थतंत्र और देश की सुरक्षा पर बुरा असर होता है इसीलिए इसे दृढ़ता के साथ मूल समेत उखाड़ना जरूरी है।
शाह ने कहा कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय, सामाजिक कल्याण मंत्रालय, रेवेन्यू विभाग, स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के साथ मिलकर इस लड़ाई को बहुत अच्छे डिजाइन के साथ एनसीबी के माध्यम से लड़ना शुरू किया है। ये लड़ाई गृह मंत्रालय अकेला नहीं लड़ सकता। जो बच्चे नशे में डूब चुके हैं, हमें उन्हें भी बाहर निकालना है और इसके लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की भी जरूरत है।
आगे और युवाओं को ड्रग्स की लत न लगे, इसके लिए शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय और गृह मंत्रालय को साथ मिलकर काम करना होगा। इससे पैदा होने वाली डर्टी मनी से देश की सुरक्षा में सेंध न लगे और ऐसा विचार रखने वालों को रोकने के लिए भी गृह मंत्रालय बहुत कठोरता के साथ काम कर रहा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में गृह मंत्रालय बहुआयामी अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है। इसके लिए कई एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स किए गए हैं, नई पद्धतियां भी विकसित की हैं और राज्यों को इसके साथ जोड़ने के लिए प्रो-एक्टिव अप्रोच लिया है।
एक ओर, फारेंसिक साइंस के क्षेत्र में अत्याधुनिक लैब उपलब्ध हो, इसके लिए नेश्नल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी कैंपस में एक सेंटर स्थापित किया है। दूसरी ओर, कानून को कठोर बनाने के लिए सबके साथ चचार्एं भी चल रही हैं। तीसरी ओर, एन्कोर्ड के माध्यम से जिÞले तक किसी भी प्रकार की कहीं भी लूपहोल ना रहे, ऐसा एक समन्वय तंत्र बनाने का काम भी गृह मंत्रालय ने 2019 से किया है।
इन सब समन्वित प्रयासों के जो परिणाम मिले हैं, वो हौंसला बढ़ाने वाले हैं। ये परिणाम दशार्ते हैं कि ये ऐसी समस्या नहीं है जिसका निदान नहीं है और जिसे मूल समेत समाप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर एन्कोर्ड जिÞला और तहसील तक पहुंच गया और सभी विभागों ने साथ मिलकर काम कर लिया, तो कुछ ही सालों में मोदी जी के नशामुक्त भारत का स्वप्न चरितार्थ होता हुआ दिखेगा।
अमित शाह ने कहा कि पिछले 8 सालों में मोदी जी के नेतृत्व में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में शानदार नतीजे प्राप्त हुए हैं। 2006-2013 की तुलना में 2014-2022 के बीच पिछले 8 साल में लगभग 200 प्रतिशत ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। गिरफ्तारियों की संख्या में 260 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। क्वालिटी केसेज में 800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जब्त किए गए ड्रग्स की मात्रा दुगने से अधिक हुई है।
2006 से 2013 के बीच 1.52 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त हुए थे जबकि 2014 से 2022 के बीच 3.3 लाख किलोग्राम ड्रग्स पकड़ी गई है। ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले और शरीर और समाज को खोखला करने वाले मादक पदार्थों पर हमने ज्यादा कान्सेन्ट्रेट किया है। 2006 से 2013 तक 768 करोड़ रुपये का ड्रग्स पकड़ी गईं जबकि 2014 से 2021 के बीच 20 हजार करोड़ रुपये के ड्रग्स पकड़ कर उसे नष्ट करने का अभियान भारत सरकार चला रही है।
ये परिणाम बताते हैं कि हमारा अभियान और रास्ता सही हैं। जरूरत है तो इस रास्ते पर गति बढ़ाने की, श्रद्धा बनाने की और इस रास्ते में अभी भी जो थोड़े बहुत लूपहोल्स हैं उन्हें समाप्त करने की। भारत सरकार का गृह मंत्रालय इस दिशा में बहुत द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आज के इस सेमिनार का विषय बहुत गंभीर है। इस विषय को लेकर भारत सरकार की गंभीरता को हम राज्य से जिÞला, जिÞला से तहसील और तहसील से ग्राम पंचायत तक परकोलेट करना चाहते हैं। इसीलिए इस सेमिनार को पांच राज्यों का सेमिनार बनाया है। उन्होंने कहा कि देश के दो क्षेत्र ऐसे हैं-नार्थ-ईस्ट और उत्तरी भाग जहां की सरहदों से ड्रग्स आता है। लेकिन हम आंखें मूंद कर नहीं बैठ सकते क्योंकि हर समस्या का समाधान होता है और उसे खोजने की जरूरत होती है।
इस लड़ाई में राज्यों को साथ लाना और एक सिनर्जी के साथ लड़ाई को लड़ना बहुत महत्वपूर्ण है। नारकोटिक्स के क्षेत्र में काम कर रही सभी ऐजेंसियों के बीच प्लेटफार्म पर चर्चा हो और सभी के प्रयास एक-दूसरे के पूरक हों, तो परिणाम ज्यादा मिलेंगे। इस सेमिनार के विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा उससे हम आने वाली पीढ़ियों को बचा पाएंगे।
शाह ने कहा कि नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई में सरकार ने अपनी अप्रोच में बहुत बड़ा बदलाव किया है। एनसीबी ने बहुत प्रयास करके एक एसओपी डेवलप की है। अगर ज्यादा मात्रा में नारकोटिक्स पकड़ा जाता है तो वो कहां तक जाना था, वहां तक इसकी जांच की जाती है। कोई अगर सेवन करने वाला अगर पकड़ा जाता है, तो ये पदार्थ देश की सरहदों में कहां से आया, वहां तक जांच करनी है।
ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की समग्र जांच वाली इस अप्रोच ने परिणाम लाने में बहुत मदद की है। केन्द्रीय गृह मंत्री के निर्देश पर 1 जून से 15 अगस्त तक 75 दिन के ड्रग्स नष्ट करने के अभियान की शुरूआत हुई और अब तक 1200 करोड़ रुपये मूल्य के 51000 किलोग्राम ड्रग्स नष्ट किए जा चुके हैं। आज केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा नष्ट किए गए लगभग 31000 किलोग्राम ड्रग्स का काला बाजार मूल्य करीब 800 करोड़ रुपये है।
इस प्रकार आज तक करीब 2000 करोड़ रुपये की कीमत के 82000 किलोग्राम ड्रग्स नष्ट किए जा चुके हैं। 15 अगस्त को 75 दिन के अभियान की समाप्ति पर इसकी मात्रा एक लाख किलोग्राम पहुँच जाएगी जिसका अनुमानित काला बाजार मूल्य करीब 3000 करोड़ रुपये होगा।
इसके अलावा शाह ने कहा कि आज एन्कोर्ड पोर्टल का भी शुभारंभ हुआ है। इस पोर्टल से देशभर की सभी एजेंसियां न केवल सूचना ले पाएंगी बल्कि यह एन्कोर्ड की बेस्ट प्रैक्टिसेज का एक्सचेंज होगा, देशभर में नारकोटिक्स के बारे में जितने भी लैंडमार्क जजमेंट आए हैं वे सभी इस पर उपलब्ध होंगे, प्रोसीक्यूशन और प्रोसीक्यूटर दोनों की ट्रेनिंग हो पाएगी तथा थ्रस्ट एरिया में जिले स्तर के पुलिस स्टेशन तक आसानी से सूचना पहुंच पाएगी।
उन्होंने पांचों राज्यों की पुलिस और नारकोटिक्स से संबंधित सभी एजेंसियों से इस पोर्टल के उपयोग करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसके उपयोग से आने वाले समय पूरे देश में एक ही तरीके से नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी।
अमित शाह ने कहा कि नार्को-अपराधियों पर राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस (निदान) का निर्माण भी हुआ है। इसमें एनडीपीएस अधिकृत एजेंसियां और एनसीबी के समस्त नार्को अपराधों का डाटा उपलब्ध है। कई प्रकार के अलग-अलग मॉड्यूल भी इसमें शामिल किए गए उन्होने सभी से अनुरोध किया कि निदान डैशबोर्ड का ढंग से अभ्यास और उपयोग करें।
उन्होंने कहा कि आज श्वान दल की भी शुरूआत हुई है और भारतीय श्वानों को ही नारकोटिक्स के प्रशिक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है। श्री शाह ने कहा कि उन्हे पूरा विश्वास है कि इस क्षेत्र में भी हम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
वहीं उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने संस्थागत संरचना की मजबूती के लिए त्रिस्तरीय फार्मूला पर काम शुरू किया है। पहला सभी नार्को एजेंसियों का सशक्तिकरण और समन्वय ताकि उन्हें दुनियाभर की बेस्ट प्रेकटिस, अच्छे से अच्छे उपकरण और सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें, दूसरा विस्तृत जागरूकता अभियान और तीसरा नशामुक्ति।
नशीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई को इन तीन मोर्चों में विभाजित किया है और इन तीनों क्षेत्रों में बहुत तीव्र गति से काम हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा कहते हैं कि संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण से ही समस्याओं का समाधान हो सकता है और यह एक ऐसी समस्या जिसमें अगर इस दृष्टिकोण को नहीं अपनाया गया तो सफलता मिलनी मुश्किल है।
उन्होने कहा कि अगर हम युवाओं को नशे की लत से मुक्त कराने और नए युवाओं को इससे दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान को तेज नहीं करेंगे और मादक पदार्थों को नहीं रोकेंगे तो विफल हो जाएँगे। अत: इन तीनों बिंदुओं पर हमें एक साथ आगे बढ़ना पड़ेगा।
शाह ने कहा कि राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन बनाने की आवश्यकता को देखते हुए एनसीबी ने मानस हेल्पलाइन का प्रयास शुरू किया है और आशा है कि कुछ ही दिनों में इसे जनता के सामने रख दिया जाएगा। उन्होने कहा कि यह बताते हुए बहुत खुशी है कि 21 राज्यों ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन भी किया है।
गृह मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों और डीजीपी से अनुरोध करते हुए कहा कि जो राज्य बाकी रह गए हैं वे जल्दी से इसका गठन करें और जहां गठन हुआ है वे इसे निचले स्तर तक ले जाने के लिए काम करें। गृह मंत्री कहा कि ड्रग्स और डार्क नेट पर लगाम लागने के लिए बहुत तेजी से काम करने की जरूरत है। डार्क वेब और क्रिप्टोकरंसी का व्यापार दोनों एक दूसरे के साथ जुड़ा हुए हैं।
गृह मंत्रालय ने हाल ही में डार्क वेब और क्रिप्टो मुद्राओं पर एक टास्क फोर्स का गठन किया है। हम प्रशिक्षण देने का भी प्रयास कर रहे हैं। मादक पदार्थों की तस्करी और क्रिप्टोकरंसी आज एक दूसरे का पर्याय बन गए हैं। हमें राज्य स्तर पर भी बहुत तेजी से इसके साथ जुड़ना पड़ेगा, बहुत सारे युवाओं और नए-नए टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट को भी इससे जोड़ना पड़ेगा।
शाह ने कहा कि एनसीबी और नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता हुआ है, इसके तहत किसी भी राज्य को मॉडर्न फारेंसिक लैब बनाने में नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और एनसीबी उन्हे पूरा गाइड करेगी। इस दिशा में एक एसओपी भी बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पंजाब में यह समस्या ज्यादा है क्योंकि यह एक बार्डर का स्टेट है इसलिए यहां प्रयास भी ज्यादा करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमृतसर में भी एक फारेंसिक लैब बनाएंगे और साथ ही एनसीबी का एक छोटा सेंटर भी खोलेंगे जो ट्रेनिंग उपलब्ध करवाएगा। शाह ने कहा कि भारत सरकार ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में पंजाब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
हम जानते हैं कि पंजाब के युवाओं को नशे से बाहर निकालना है और इसके लिए पंजाब जो भी प्रयास करता है हम उसके साथ हैं। अमित शाह ने कहा कि वे आश्वासन देते हैं कि पंजाब की नशे के खिलाफ जो लड़ाई है उसको भारत सरकार मोदी जी के नेतृत्व में मजबूत सहयोग करेगी।
उन्होंने कहा कि अवैध ड्रग्स की खेती के लिए भी राज्य में ड्रोन उपयोग और टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाकर बहुत जल्दी इसे रोकना पड़ेगा। एनसीबी भास्कराचार्य सेंटर के साथ मिलकर एक संयुक्त प्रयास कर रही है, सेटेलाइट के माध्यम से एरिया आईडेंटिफाई किया जा रहा है और एक विशिष्ट प्रकार की सेटेलाइट इमेज की पहचान सिस्टम भी डेवलप की जा रही है।
इससे सचिवालय के अंदर ही सर्वे नंबर के साथ आपको उस एरिया की जानकारी मिल जाएगा जहां ड्रग्स की खेती होती है, अगर यह हो जाता है तो फिर ड्रग्स नष्ट करने में देरी नहीं लगेगी। उन्होने सभी राज्यों से अनुरोध किया कि वे भी भास्कराचार्य इंस्टिट्यूट से संपर्क कर सकते हैं और वह उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं।
अमित शाह ने कहा कि दोहरे उपयोग वाली दवाइयों के दुरुपयोग को रोकना पड़ेगा, इसके लिए गृह मंत्रालय के इनिशिएटिव से स्वास्थ्य और समाज परिवार कल्याण मंत्रालय और रसायन मंत्रालय के साथ स्थाई अंतर मंत्रालाय समिति का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि समुद्री मार्ग से तस्करी रोकना भी बहुत महत्वपूर्ण है भारत सरकार की एजेंसियों ने कोस्टगार्ड के साथ और समुद्री तट पर बसे राज्यों के साथ मिलकर बहुत बड़ी मात्रा में पिछले एक साल में कीमत की दृष्टि से जितना भी ड्रग्स पकड़ा उसका अधिकतम ड्रग्स समुद्री मार्ग से पकड़ा गया। उन्होंने कहा कि भारत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग के चौराहे पर है, हमारी समुद्री सीमा से ड्रग्स को न श्रीलंका जाने देना है, न पूर्व के देशों में और न भारत में आने देना है।
भारत की सरजमीं न ड्रग्स बनाने देगी, न आने देगी और न ड्रग्स को यहां से बाहर जाने देगी। मोदी जी के नेतृत्व में भारत का ड्रग्स के खिलाफ जीरो टोलरेंस का संकल्प है। यह दुनिया की लड़ाई है जो भारत ने लड़ी है और हम इस स्प्रीट के साथ इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
उन्होने कहा कि कई हवाई अड्डों पर हमने अलग प्रकार की पद्धतियां विकसित की है। कस्टम और डीआरआई ने भी कई प्रकार के साफ्टवेयर बनाए हैं और गृह मंत्रालय फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन के लिए भी एफआईयू और ईडी दोनों के साथ बहुत गहन विचार-विमर्श करता है। वित्तीय जांच जो की जा रही है, उनकी संपत्तियां भी जब्त कर रहे हैं और उनके मूल तक पहुँचने का काम कर रहे हैं।
अमित शाह ने कहा कि हमने 272 जिले और लगभग 80 हजार से ज्यादा गांव इंगित किए हैं अब हमारा एरिया तय है कि हमें यह लड़ाई कहां लड़नी है। अब हमारा काम है कि संकल्प के साथ हर व्यक्ति, हर एजेंसी अपने अपने कार्य क्षेत्र में इस लड़ाई को मजबूत से ले जाए।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 44 देशों के साथ नारकोटिक्स के लिए अलग-अलग समझौता ज्ञापन किए हैं और सूचनाओं का आदान प्रदान हो गया है। श्री शाह ने कहा कि उनकी राज्यों से बहुत अपेक्षाएं हैं, यह लड़ाई अकेले केंद्र सरकार नहीं लड़ सकती हैं, राज्य की लड़ाई लड़ने की गति केंद्र से दोगुना से ज्यादा होती हैं तभी जाकर परिणाम आता है और राज्य भी अकेला नहीं लड़ सकता है हम सबको मिलकर इस लड़ाई को आगे ले जाना होगा।
डिस्ट्रिक्ट, तहसील और गांव तक एन्कोर्ड पोर्टल प्लेटफार्म का जितना उपयोग होगा हम उतना ज्यादा समस्याओं का समाधान कर पाएंगे। हमें एन्कोर्ड तंत्र और जाइंट कोआर्डिनेशन समिति का सदुपयोग करने की आदत डालनी पड़ेगी। उसके निदेर्शों को इंप्लीमेंट भी करना पड़ेगा। गृह मंत्री ने कहा कि ड्रग्स की बड़ी जब्ती के मामले में भी उनका राज्यों से अनुरोध है कि इसको केंद्र-राज्य का मामला न बनाएं।
जहां पर भी आपको लगता है कि यह मामला हमारे राज्य की सीमा के बाहर जाता है आप एनसीबी और एनआईए का सहयोग करें। अगर मामला राज्य की सीमा के बाहर है तो एनसीबी को दे दीजिए और अगर देश की सीमा से बाहर का मामला है तो एनआईए को दे दीजिए। देश की संसद ने एनआईए को विदेश के अंदर जांच करने के लिए सक्षम बनाया है। श्री शाह ने कहा कि हम समस्या का समाधान जानते हैं और वे भरोसा दिलाना चाहते हैं कि केंद्र की ये दोनों एजेंसियां राज्य को साथ में लेकर ही जांच करेंगी।
गृहमंत्री ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए भी सुप्रीम कोर्ट के साथ बातचीत चल रही है। फास्ट ट्रैक कोर्ट और एक्सक्लूसिव कोर्ट के लिए भी बात हो रही है। उन्होंने कहा कि आज जिन पांच राज्यों का सम्मेलन यहां बुलाया गया है ये राज्य और पूरा नार्थईस्ट, ड्रग्स की समस्या का प्रवेश द्वार भी है और यहां के युवा सबसे ज्यादा ड्रग्स की समस्या से ग्रसित हैं। इसलिए इन पांच राज्यों को भी अपने राज्य के बीच कोआर्डिनेशन की एक व्यवस्था करनी पड़ेगी।
अगर पंजाब से ड्रग्स हरियाणा जाता है तो हरियाणा को तुरंत सूचना मिल जाए और हरियाणा उसको दिल्ली की ओर नहीं जाने देगा। उन्होने कहा कि ड्रोन आज ड्रग्स और हथियारों की तस्करी और जाली नोटों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है, मगर उस पर भी हम युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि आज वे इतना ही कहना चाहते हैं कि आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में मोदी जी ने कहा है कि अमृत महोत्सव से शताब्दी के इस अमृतकाल में हम सभी संकल्प लें।
इस सम्मेलन में सभी से अपील है कि हम सब भी संकल्प लें कि ड्रग्स से भारत की युवा पीढ़ी को पूर्णतया मुक्त कराएंगे और एक समृद्ध और नए भारत की रचना में अपना योगदान देंगे। उन्होने भरोसा जताया कि हर राज्य का इसमें सहयोग मिलेगा और प्रत्येक राज्य सक्रिय भूमिका निभाते हुए आगे बढ़कर अपने-अपने क्षेत्र में ड्रग्स की समस्या को समाप्त करेगा।
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