इंडिया न्यूज़ (नई दिल्ली, What is dirty and when it is used): रूस और यूक्रेन के बीच इस साल फरवरी से जंग हो रही है। इस बीच आज रूस के रक्षा मंत्री ने सर्गेई शोइगु ने भारत ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की। रूस के मंत्री ने भारत से कई बातों को लेकर चिंता जाहिर की। इसमें डर्टी बम भी था। रूस ने भारत से युद्ध के कारण बन रहे हालातों पर भी चर्चा की।

रूस के दावे को नाटो ने नकार दिया (वीडियो: रायटर्स)

रूस ने भारत से यह अंदेशा जताया की खेरसॉन इलाके में यूक्रेन डर्टी बम का इस्तेमाल कर सकता है। एक महीने पहले ही रूस ने जनमत संग्रह करवाया था और इसके बाद खेरसॉन इलाके को अपने कब्जे में लेने का ऐलान किया था। भारत ने इस मुद्दे का हल बातचीत से निकालने को कहा।

रूस ने कई देशों को जानकारी दी

रूस ने अमेरिका, फ्रांस और यूके सहित दुनिया के कई देशों को यूक्रेन द्वारा डर्टी बम इस्तेमाल किए जाने को लेकर जानकारी उपलब्ध करवाई है। हालांकि, इन सभी देशों ने रूस के दावे को खारिज कर दिया है। इन देशों ने साफ़-साफ़ शब्दों में कहा की रूस जो दावा कर रहा है वह पूरी तरह से गलत है।

यूक्रेन ने दावा किया ख़ारिज

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के दावे को खारिज कर दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि हमारे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। रूसी सेना खुद ही डर्टी बम का इस्तेमाल करना चाह रही है और अपने पापों से ध्यान हटाने के लिए यूक्रेन पर आरोप लगा रही है। ऐसे को आपके के लिए जानना जरूर हो जाता है की आखिर डर्टी बम क्या होता है, तो आइये आपको बताते है।

क्या होता है डर्टी बम

डर्टी बम को आधिकारिक रूप से रेडियोलॉजिकल डिस्पर्सल डिवाइस कहा जाता है। इसमें डायरेक्ट रेडियो एक्टिव कंटेंट नहीं होता। इसकी जगह रेडियो एक्टिव वेस्ट यानी विकिरण फैलाने वाले कचरे का इस्तेमाल किया जाता है। इनसे लोगों के मारे जाने का बहुत खतरा तो नहीं होता, लेकिन काफी खतरनाक बीमारियां जिसमें कैंसर जैसे बीमारी भी शामिल है वह फैल सकती है।

एटम बम से मीलों दूर तक तबाही होती है और कुछ मिनट में ही करोड़ो लोग मारे जाते हैं। डर्टी बम, एटम बम जितना खतरनाक नहीं होता। एटमी हथियारों में यूरेनियम और प्लूटोनियम का शुद्ध मटेरियल होता है। डर्टी बम में एटमिक कचरा होता है। डर्टी बम का इस्तेमाल डायनामाइट के साथ किया जाता है।

ICAN (इंटरनेशनल कैम्पेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स) की साल 2020 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, डर्टी बम एक तय दूरी के इलाके में काफी नुकसान पहुंचा सकता है। एटमी हमले में नुकसान काफी बड़ा इलाके में होता है। एटम बम से विपरीत डर्टी बम से रेडिएशन बहुत ज्यादा और दूर तक नहीं होता।

इसका इस्तेमाल कब-कब हुआ?

विश्व में अब तक डर्टी बम का इस्तेमाल कहीं भी नहीं हुआ है। लेकिन, कई जगह ऐसे हमले की कोशिश जरूर की गई है।

1. साल 1996 में चेचेन्या के विद्रोहियों ने मॉस्को के इजमाइलोवो पार्क में डर्टी बम लगा कर विस्फोट करने की कोशिश की थी। सुरक्षाबलों को जैसे ही बम की जानकरी मिली उन्होंने वह पहुंच कर इसे डिफ्यूज कर दिया गया।

2. साल 1998 के दौरान चेचेन्या के सुरक्षाबलों ने एक रेलवे लाइन के किनारे लगाए गए डर्टी बम को डिफ्यूज किया था।

3. 2002 में अल-कायदा से संबंध रखने वाले अमेरिकी नागरिक होसे पाडीला को गिरफ्तार कर लिया गया था। पाडीला पर आरोप था की वह शिकागो में डर्टी बम से हमला करना चाहता था। इस मामले में होसे पाडीला को 21 साल की सजा सुनाई गई थी।

4. 2004 में अल-कायदा से संबंध रखने वाले ब्रिटेन के नागरिक धीरेन बेरट को गिरफ्तार किया गया था। धीरेन पर आरोप था की उसने अमेरिका और ब्रिटेन में डर्टी बम से हमले का प्लान बना रहा था, उसे 30 साल की सजा सुनाई गई थी।