इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : पिछले साल जब रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की भारतीय जोड़ी ने टीम इंडिया की कमान संभाली थी, तब एक उम्मीद जगी थी.। इन दोनों के बतौर कप्तान और कोच जिम्मेदारी संभालने के बाद लगा था कि भारतीय क्रिकेट के पास एक लंबा प्लान है। घरेलू क्रिकेट सिस्टम से नए खिलाड़ी भी आ रहे थे और जो टीम में थे, उनकी भूमिका भी साफ थी। कोई कमजोरी नजर नहीं आ रही थी। हार्दिक पंड्या की वापसी ने भी एक तेज बॉलिंग ऑलराउंडर की जरुरत भी काफी हद तक पूरी कर दी थी। जानकारी दें, पिछले वनडे विश्व कप में नंबर-4 की जो परेशानी से टीम इंडिया जूझी थी। वो भी दूर होती दिख रही थी लेकिन, एक साल बीतने को है और जितनी उम्मीदें जगी थी, अगर सारी नहीं तो, काफी उम्मीदें तो धुंधली पड़ती दिख रही हैं।
जानकारी दें, इस एक साल में भारत ने व्हाइट बॉल क्रिकेट में काफी प्रयोग किए। 2021 टी20 विश्व कप के बाद के 12 महीनों में भारत ने 30 से अधिक टी20 मैच खेले और दो दर्जन से ज्यादा खिलाड़ियों को आजमाया। इसी अवधि में आधा दर्जन खिलाड़ियों ने डेब्यू भी किया। इतना ही नहीं, 4 कप्तान भी बदले गए। यानी रोहित-राहुल की जोड़ी ने टीम इंडिया को प्रयोगशाला बना दिया। इतने प्रयोगों के बाद ऑस्ट्रेलिया में इस साल खेले गए टी20 वर्ल्ड कप के लिए फाइनल-15 तय हुए लेकिन, यह 15 खिलाड़ी मिलकर भी भारत के आईसीसी ट्रॉफी जीतने के सूखे को खत्म नहीं कर पाए। एक बार फिर टीम इंडिया आईसीसी ट्रॉफी के नॉकआउट स्टेज में चोक कर गई और 2013 के बाद से कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीतने का जो दाग, टीम इंडिया पर लगा था, वो और गहरा हो गया।
आपको बता दें, टीम इंडिया ने एक ही साल के अंदर टी-20 में 4 खिलाड़ियों से कप्तानी कराई। रोहित शर्मा के अलावा ऋषभ पंत, केएल राहुल, हार्दिक पंड्या को कप्तानी का मौका दिया गया। भविष्य का कप्तान तय करने के हिसाब से भारतीय टीम मैनेजमेंट का यह फैसला सही कहा जा सकता है। लेकिन, इसके कारण विश्व कप की टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत पांच इंटरनेशनल कप्तान खेले। विकेटकीपिंग का भी यही हाल रहा, जो व्हाइट बॉल क्रिकेट में किसी टीम की सबसे अहम कड़ी होता है। टी20 विश्व कप से पहले भारत ने संजू सैमसन, ईशान किशन, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत से विकेटकीपिंग कराई।लेकिन, आखिर में टीम ने 37 साल के दिनेश कार्तिक पर भरोसा जताया और उन्हें मुख्य विकेटकीपर के तौर पर टी20 विश्व कप की टीम में मौका दिया। ऋषभ पंत बैकअप विकेटकीपर के रूप में रहे।
टीम इंडिया इतने प्रयोगों के बाद भी नाकाम रही। 2013 के बाद भारत ने अलग-अलग आईसीसी टूर्नामेंट में 10 नॉक आउट मुकाबले खेले। लेकिन, इसमें 7 हारे और 3 ही जीते। अब भारत को व्हाइट बॉल क्रिकेट में अच्छा करना तो काफी बदलाव करने होंगे। क्योंकि अगले साल अक्टूबर-नवंबर में भारत में वनडे विश्व कप खेला जाएगा। इससे पहले, भारत के सामने कई चुनौतियां और सवाल हैं, जिसके जवाब उसे ढूंढने होंगे।
इसकी शुरुआत बांग्लादेश के खिलाफ 3 वनवडे की सीरीज से ही हो गया है। भारत को बांग्लादेश ने लगातार दो वनडे में हराया। दोनों ही मैच में जिस अंदाज में टीम इंडिया हारी, उसे हजम कर पाना मुश्किल है। इन दोनों ही मुकाबलों में भारत की पुरानी कमजोरी उभरकर सामने आई। डेथ ओवर की गेंदबाजी के साथ-साथ मिडिल ओवर की गेंदबाजी ने भी भारत की परेशानी बढ़ा दी है। भारत को वनडे विश्व कप को ध्यान में रखकर ऐसे गेंदबाज तैयार करने होंगे, जो मिडिल ओवर में विकेट निकालने की काबिलियत रखते हों। क्योंकि भारतीय पिच पर अगर नई गेंद से टीम विकेट निकालने में नाकाम रहती है तो फिर बीच के ओवर में रन रोकना और विकेट निकालना और मुश्किल हो जाता है।
ईएसपीएनक्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 के बाद से वनडे में 11 से 40 ओवर के बीच न्यूजीलैंड के 4.92 और ऑस्ट्रेलिया के 5.04 के इकोनॉमी रेट के मुकाबले भारतीय गेंदबाजों ने 5.56 के इकोनॉमी रेट से मिडिल ओवर में रन दिए हैं। यहां तक कि इस अवधि में घर में मिडिल ओवर में भारत की 5.76 की इकोनॉमी रेट केवल इंग्लैंड (6.14) और दक्षिण अफ्रीका (6.49) से बेहतर है। इंग्लैंड के पास तो इतने पावर हिटर बल्लेबाज हैं, जो गेंदबाजों द्वारा लुटाए गए अतिरिक्त रन की भरपाई बल्लेबाजी में कर सकते हैं। लेकिन, भारत के लिए फिलहाल ऐसा नहीं कहा जा सकता है। युजवेंद्र चहल को फर्स्ट चॉाइस स्पिनर माना जाता है तो फिर उन्हें लगातार मौके देने होंगे. वहीं, रवि बिश्नोई जैसे गेंदबाजों की आजमाना होगा। यही बदलाव में बल्लेबाजी में भी करना होगा।
आपको बता दें, श्रेयस अय्यर के बाद शुभमन गिल इस साल भारत के लिए वनडे में 70 की औसत से रन बना रहे हैं। न्यूजीलैंड दौरे पर भी उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की। जब बांग्लादेश के खिलाफ जब वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम चुनी गई तो उनका नाम ही नहीं था। शिखऱ धवन बांग्लादेश गए और दोनों ही मैच में नाकाम रहे। भारत को अब धवन से आगे देखना चाहिए और वनडे में रोहित के सलामी जोड़ीदार के रूप में गिल को नियमित मौका देना चाहिए। यही फॉर्मूला मिडिल ऑर्डर में विराट कोहली को लेकर भी आजमाना चाहिए। श्रेयस अय्यर मिडिल ऑर्डर में अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं और उनका वनडे विश्व कप की टीम में चुना जाना करीब-करीब तय है। इसके अलावा सूर्यकुमार यादव एक्स फैक्टर खिलाड़ी हैं। उन्होंने जिस तरह बीते 1 साल में टी20 फॉर्मेट में प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए उन्हें भी वनडे क्रिकेट में लगातार मौके दिए जाने चाहिए।
टीम इंडिया के लिए एक और परेशानी है खिलाड़ियों का बार-बार चोटिल होना। वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत बीते 1 साल में खिलाड़ियों को आराम मिला। लेकिन, जितना आराम मिला, उतनी ही तेजी से खिलाड़ी चोटिल भी हुए। बांग्लादेश दौरे को ही अगर लें तो वनडे सीरीज के लिए 20 खिलाड़ी चुने गए थे और दौरा शुरू होने से पहले ही तीन बाहर हो गए। इसमें मोहम्मद शमी, रवींद्र जडेजा और यश दयाल शामिल हैं और दूसरे वऩडे के बाद तीन और खिलाड़ी चोटिल के कारण टीम से बाहर हो गए। इसमें रोहित शर्मा को फील्डिंग के दौरान उंगली पर लगी चोट को हटा दें तो दीपक चाहर और कुलदीप सेन का चोटिल होना समझ से परे है। क्योंकि सेन ने तो बांग्लादेश के खिलाफ पहले वनडे में ही डेब्यू किया था और उसी में ही वो चोटिल हो गए। वनडे विश्व कप से पहले भारत के सामने खिलाड़ियों की फिटनेस, टॉप ऑर्डर में रोहित का सलामी जोड़ीदार कौन होगा? कौन मैच फिनिशर का रोल निभाएगा और किन गेंदबाजों के साथ भारत विश्व कप में उतरेगा। इन सवालों के जवाब भारत को जल्द ही ढूंढने होंगे।
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