इंडिया न्यूज़ (नई दिल्ली, WHO make team to deal with disease X): विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ऐसे बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों की पहचान कर रहा है जो भविष्य में महामारी का कारण बन सकते हैं। संगठन ने इन रोगाणुओं (पैथोजन्स) की एक सूची भी बनाई है, ताकि उनसे निपटने पर काम किया जा सके।
रिसर्च के लिए संगठन 300 वैज्ञानिकों की एक टीम बना रहा है जो भविष्य में महामारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस की पहचान करेगी। साथ ही ये टीम बीमारियों के टीके और इलाज पर भी काम करेगी.
पिछले दो सालों में कोरोना के अलावा जीका, मंकीपॉक्स और निपाह जैसे वायरस बड़े पैमाने पर लोगों के मरने की घटना हुई है।
संगठन द्वारा प्राथमिकता वाली इस लिस्ट में कोविड-19, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लस्सा फीवर, एमईआरएस, सार्स, जीका और डिजीज X शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगजनकों की पहली सूची 2017 में प्रकाशित की गई थी.
वर्तमान में इसमें कोविड -19, क्रीमियन-कॉन्ग हेमोररहाजिक बुखार, इबोला वायरस रोग और मारबर्ग वायरस रोग, लस्सा फीवर बुखार, मिडल ईस्ट रिस्पायरेटरी सिंड्रोम (MERS), सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), निपाह और हेनिपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर, जीका और डिसीज X शामिल हैं।
अभी वैज्ञानिकों द्वारा खासतौर पर डिजीज X पर काम किया जाएगा जो एक अज्ञात रोगजनक है। डिजीज X भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महामारी का कारण बन सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कोरोना से बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं और अगर ये एक बार फैल गया तो इसे रोकना लगभग असंभव हो जाएगा। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम डिजीज X समेत 25 से अधिक वायरस और बैक्टीरिया के सबूतों पर काम करेंगे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक डिजीज X पूरी तरह से अज्ञात है और इसके बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी पब्लिक नही है। लेकिन भविष्य में डिजीज एक्स (Disease X) के प्रसार होने की संभावना है। ये किसी छोटे रूप में भी हो सकती है और बड़ी महामारी की तरह भी फैल सकती है।
डब्ल्यूएचओ के हेल्थ एमरजेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉ माइकल रयान ने कहा कि हमारे पास अगर पहले से ही रोगजनकों और वायरस की जानकारी होगी तो इससे हमें बीमारी का इलाज ढूंढ़ने और टीके बनाने में मदद मिलेगी।
तेजी से फैलने वाली महामारी और उसकी प्रतिक्रिया को जानने के लिए प्राथमिक रोगजनकों और उनकी फैमिली को टारगेट करना आवश्यक है। इस दौरान वैज्ञानिक उन रोगजनकों को भी टारगेट करेंगे जिन पर अधिक शोध और निवेश की जरूरत है।
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