India News (इंडिया न्यूज़), Benefits of Clapping: घर में, मंदिर में, देवालय में या कहीं भी भजन-कीर्तन व आरती होती है तो सभी लोग मिलकर खूब तालियां बजाते हैं। अधिकांश लोग बिना कुछ जाने-समझे ही तालियां बजाया करते हैं, क्योंकि हम अपने पूर्वजों को ऐसा करते देखते आ रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि भजन-कीर्तन व आरती करते समय तालियां क्यों बजाई जाती हैं? हम आपको आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरीकों से बताएंगे कि लोग ऐसा क्यों करते हैं।

ताली है सबसे सरल और सहज योग

ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है और यदि प्रतिदिन नियमित रूप से ताली बजाई जाए तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को भी सुलझाया जा सकता है। प्रतिदिन अगर नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाई जाएं तो फिर किसी हठयोग या आसनों की ज्यादा जरूरत नहीं रहेगी।

  • आपको बता दें कि जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले और यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जाएगी। ठीक उसी प्रकार जब हम दोनों हाथ ऊपर उठाकर ताली बजाते हैं तो जन्मों से इकट्ठा पाप जो हमने स्वयं अपनी बगल में दबा रखे हैं वह नीचे गिर जाते हैं अर्थात नष्ट हो जाते हैं।
  • कहा तो यहां तक जाता है कि जब हम संकीर्तन (कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठाकर ताली बजाना) में काफी शक्ति होती है। संकीर्तन से हमारे हाथों की रेखाएं तक बदल जाती हैं।

ताली के क्या हैं लाभ?

1. ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए। इस प्रकार की ताली से बाएं हथेली के फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं।

इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है। इस तरह की ताली को तब तक बजाना चाहिए, जब तक हथेली लाल न हो जाए। इतना ही नहीं, ताली बजाने से कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में लाभ पहुंचता है।

2. थप्पी ताली में दोनों हाथों के अंगूठे, अंगूठे से कनिष्का, कनिष्का से तर्जनी, तर्जनी से सभी अंगुलियां अपने समानांतर दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हों, हथेली-हथेली पर पड़ती हो। इस प्रकार की ताली की आवाज बहुत तेज व काफी दूर तक जाती है। यह ताली कान, आंख, कंधे, मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव डालती है।

एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस ताली को भी तब तक बजाना चाहिए, जब तक कि हथेली लाल न हो जाये। इस ताली से फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस और आंखों की कमजोरी जैसी समस्याओं में काफी लाभ पहुंचता है।

3. ग्रिप ताली इस प्रकार की ताली में सिर्फ हथेली को हथेली पर ही इस प्रकार मारा जाता है कि वह क्रॉस का रूप धारण कर ले। यह ताली उत्तेजना बढ़ाने का विशेष कार्य करती है। इस ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते हैं और यह ताली सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है। यदि इस ताली को तेज व देर तक बजाया जाए तो शरीर में पसीना आने लगता है, जिससे शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं। इस ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है, बल्कि कई रोगों का इलाज भी हो जाता है।

जिस प्रकार से ताला खोलने के लिए चाबी की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह कई रोगों को दूर करने में यह ताली न सिर्फ चाबी का काम करती है, बल्कि कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे ‘मास्टर चाबी’ भी कहा जाता है।

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