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ठाकरे परिवार के लिए क्यों महत्वपूर्ण है शिवाजी पार्क, जाने

Roshan Kumar • LAST UPDATED : September 21, 2022, 4:33 pm IST

इंडिया न्यूज़ (मुंबई, Why Shivaji Park important for Thackeray Family): उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के गुट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। उनकी एक याचिका में मांग कि गई है कि पार्टी को मुंबई के दादर में शिवाजी पार्क में अपनी वार्षिक दशहरा रैली आयोजित करने की अनुमति दी जाए.

वकील जोएल कार्लोस के माध्यम से दायर याचिका का उल्लेख, न्यायमूर्ति आरडी धानुका और कमल खता की पीठ के सामने किया गया है, इस मामले कि कल यानी 22 सितम्बर को सुनवाई होने वाली है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना 1966 से शिवाजी पार्क में अपना दशहरा मेला (रैली) आयोजित कर रही है.

शिवाजी पार्क में एक दशहरा रैली को सम्बोधित करते बाल ठाकरे.

याचिका में कहा गया की “साल 2016 में, बीएमसी आयुक्त को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करने की अनुमति देने का निर्देश दिया गया था, और उसके अनुसार 2019 तक अनुमति दी गई थी। रैली 2020 और 2021 में COVID-19 महामारी के कारण आयोजित नहीं की गई थी।”

तीन दिनों के भीतर अनुमति देने की मांग

याचिका में आगे कहा गया कि “साल  2022 में, प्रक्रिया के अनुसार पार्टी ने 26 अगस्त, 2022 को बीएमसी के पास 5 अक्टूबर, 2022 को रैली आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था, हालांकि एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक अनुमति नही दी गई है। इसने याचिकाकर्ता को उचित निर्देश के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया है।”

शिवाजी पार्क में एक दशहरा रैली को सम्बोधित करते उद्धव ठाकरे.

याचिका में यह भी कहा गया कि “पूरे महाराष्ट्र राज्य के साथ-साथ देश भर में पार्टी कार्यकर्ता और नेता बिना किसी निमंत्रण या घोषणा के शिवाजी पार्क पहुंचे है। पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा अनुशासित तरीके से आयोजित दशहरा मेला (रैली) के कारण कभी भी शर्तों का उल्लंघन या कानून व्यवस्था की स्थिति में कोई व्यवधान नहीं हुआ है.

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से प्रार्थना की है कि बीएमसी को 3 दिनों के भीतर अनुमति देने का निर्देश दिया जाए। यह रैली पांच अक्टूबर को शाम पांच बजे से दस बजे तक आयोजित होनी है.

शिवजी पार्क इतना अहम क्यों?

सवाल है कि आखिर शिवाजी पार्क, ठाकरे परिवार के लिए इतना अहम क्यों है। आइये इसके बारे में बताते है.

इस साल जून के महीने में शिवसेना से एकनाथ शिंदे के साथ 56 में से 40 विधायकों ने बगावत कर दी और उद्धव सरकार हटा कर बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। शिंदे असली शिवसेना होने का दावा करते है। यह मामला चुनाव आयोग होते हुए फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है। एकनाथ शिंदे भी दशहरा रैली का आयोजन करना चाहते है.

उद्धव ठाकरे ने अपना शपथ ग्रहण भी शिवाजी पार्क में ही किया था .

उद्धव गुट वाली शिवसेना ने साफ कह दिया है कि वह पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली शिवाजी पार्क मैदान में ही करेगी, चाहे बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) अपनी मंजूरी दे या नहीं। अब फैसला बीएमसी को लेना है लेकिन यह मामला काफी संवेदनशील है और इस पर फैसला लेना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि जो भी फैसला लिया जाएगा वह एकगुट को नामंजूर होगा। इस कारण दशहरे के दिन आर्थिक राजधानी में कानून-व्यवस्था के हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है.

1966 से हो रहा है रैली का आयोजन

दरअसल, उद्धव ठाकरे परिवार का शिवाजी पार्क से राजनीतिक और भावनात्मक जुड़ाव है। साल 1966 में अपने स्थापना के बाद से ही शिवसेना, शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन करती आ रही है। शिवसेना के संस्थापक और दिवंगत बाल ठाकरे ने अनेकों बार यहाँ से शिव सैनिकों को संबोधित किया है.

आदित्य ठाकरे को तलवार देते बालासाहब ठाकरे.

इस रैली का ही मंच था जब साल 2010 में बाल ठाकरे ने अपने पोते आदित्य ठाकरे को राजनीती में लाने कि घोषणा की थी। तब बाल ठाकरे ने आदित्य को तलवार भेंट करते हुए शिवसैनिकों से आदित्य की देखभाल करने का अनुरोध किया था.

बालासाहब की समाधि भी यही 

नवंबर 2012 में जब बाल ठाकरे का देहांत हुए तब उनका अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क में उसी जगह पर किया गया था, जिस जगह दशहरा रैली का मंच बनाया जाता था। मैदान के पश्चिमी दिशा में बाल ठाकरे का समारक है। इसी मैदान के पूर्व दिशा में बालासाहब कि दिवंगत पत्नी मीनाताई ठाकरे की एक प्रतिमा है, जिन्हें शिवसैनिक मां साहेब कहते हैं.

बाल ठाकरे कि समाधि शिवजी पार्क में .

साल 2019 में जब महाविकास अगाडी कि सरकार बनीं और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने, तो उनका शपथ ग्रहण समारोह शिवजी पार्क में ही हुआ था। इन सब कारणों कि वजह से ठाकरे परिवार के लिए ये मैदान न सिर्फ शिवसेना के इतिहास का सबसे बड़ा गवाह है, बल्कि यहां की मिट्टी से भी परिवार का भावनात्मक लगाव भी है.

बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे कि अगुवाई में दशहरा रैली की परंपरा जारी रही पर इस साल एकनाथ शिंदे गुट ने इस पर अपना दावा ठोककर स्थिति को गंभीर बना दिया है। लेकिन ठाकरे परिवार भी जिद पर अड़ा हुआ है और उनके तेवरों से लगता नहीं कि वे पीछे हटने वाले हैं.

उद्धव ज़िद पर अड़े

मुंबई के पूर्व महापौर और उद्धव परिवार के करीबी मिलिंद वैद्य के साथ एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को नगर निकाय के अधिकारियों से मुलाकात कर रैली के आवेदन के स्थिति के बारे में जानकारी ली। मिलिंद वैद्य ने यह भी कहा कि “हमें अनुमति मिले या नहीं, हम शिवाजी पार्क में रैली करेंगे, हम रैली करने के फैसले पर कायम है।”

हालांकि बीएमसी ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया है। दोनों गुटों ने एक विकल्प के तौर पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के एमएमआरडीए मैदान में भी रैली करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था.

पिछले हफ्ते शिंदे गुट को एमएमआरडीए मैदान में रैली करने की मंजूरी मिली गई है लेकिन शिवजी पार्क पर अभी तक कोई निर्णय नही हुआ है। महाराष्ट्र कि राजनीती के जानकार बताते है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के नेताओं ने इसको प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है और वह नही चाहते कि उद्धव गुट को रैली करने कि मंजूरी मिले.

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से 20 जनवरी 2016 को जारी एक आदेश के अनुसार शिवाजी पार्क में बीएमसी साल के  45 दिन अलग-अलग सार्वजनिक कार्यक्रमों की इजाज़त दे सकती है। उस आदेश में रावण दहन की अनुमति तो है, लेकिन दशहरा रैली का कोई जिक्र नहीं है.

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