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Lok Sabha Election: विभूतियों को सम्मान किया बीजेपी की राह आसान! इन नेताओं को मिला करारा जवाब

Rajesh kumar • LAST UPDATED : February 10, 2024, 2:08 am IST

India News,(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देश की पांच प्रमुख हस्तियों को भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरफ जहां देश के प्रति उनके योगदान को सम्मानित किया है, वहीं दूसरी तरफ इससे बीजेपी का राजनीतिक आधार भी बढ़ा है।

उन्होंने दक्षिण भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर उत्तर-दक्षिण विवाद पैदा करने वाले नेताओं को करारा जवाब देते हुए यह सम्मान देकर किसानों का दिल जीत लिया। चौधरी चरण सिंह। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत रत्न के जरिए सरकार ने सबका साथ, सबका विकास के साथ-साथ सबका सम्मान भी स्थापित करने की कोशिश की है।

ऐसा नहीं है कि कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन के योगदान को आम जनता नहीं जानती, लेकिन पहली बार देश के प्रति उनके योगदान को स्वीकार कर उन्हें सम्मानित करने का काम किया गया है। समाज।

प्रणब मुखर्जी को भी मिल चुका है सर्वोच्च सम्मान

राजनीति की संकीर्ण सीमाओं को तोड़ते हुए समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर, सोशलिस्ट पार्टी के नेता चौधरी चरण सिंह और कांग्रेस नेता नरसिम्हा राव को सम्मानित किया गया। इससे पहले कांग्रेस के प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्न दिया जा चुका है।

सम्मान को राजनीतिक सीमाओं से परे ले जाने की मोदी सरकार की कोशिश पद्म पुरस्कारों में भी दिखी है। जहां मुलायम सिंह यादव, तरूण गोगोई, एसएम कृष्णा, गुलाम नबी आजाद जैसे विपक्षी दलों के नेताओं को भी पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

पीएम मोदी ने बीजेपी की सियासी राह कर दी आसान

देश को नई दिशा देने वाली अलग-अलग क्षेत्रों की शख्सियतों को सम्मानित कर प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी की राजनीतिक राह भी आसान कर दी है। कर्पूरी ठाकुर को सम्मान देने के तुरंत बाद नीतीश कुमार का एनडीए में शामिल होना और चौधरी चरण सिंह को सम्मान देने के बाद जयंत चौधरी के ‘दिल जीतने’ वाले बयान से यह साबित हो गया है। इससे बिहार में अत्यंत पिछड़े वर्गों के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में जाट वोटों को एकजुट करने में मदद मिल सकती है।

इसी तरह अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हिंदुत्व को राजनीतिक चर्चा के केंद्र में लाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देकर उनके कोर वोट बैंक को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।

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