India News (इंडिया न्यूज), Most Powerful Hindu Queens: महिलाओं को अक्सर कमज़ोर समझा जाता है। उन्हें घर के कामों से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन ये धारणाएँ गलत हैं। प्राचीन काल में महिलाएँ पुरुषों से ज़्यादा बहादुर और शक्तिशाली थीं। वे अपने साहस, न्याय और सुंदरता के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लड़ाइयाँ लड़ीं और उनमें से कई में जीत भी हासिल की। ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ आधुनिक युग में ही महिलाएँ पुरुषों के सारे काम कर रही हैं बल्कि कई प्रसिद्ध रानियाँ ऐसी भी हुई हैं जिन्होंने पुरुष राजाओं से ज़्यादा नाम कमाया।
महारानी ताराबाई मराठा साम्राज्य की एक महिला शासक थीं। वह राजाराम महाराज की दूसरी पत्नी और छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति हंबीरराव मोहिते की बेटी थीं। वह शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई की बहन भी थीं। उनका जन्म 1965 में हुआ था। वह बचपन से ही शिवाजी के साथ थीं। वह उनकी आधिकारिक सलाहकार बन गईं। ताराबाई के नेतृत्व में मराठा सेना ने मुगल बादशाह औरंगजेब के साथ कई युद्ध लड़े और कुछ में जीत भी हासिल की। ताराबाई का पूरा नाम ताराबाई भोसले था।
राजकुमारी रत्नावती जैसलमेर के राजा महाराजल रत्न सिंह की बेटी थीं। उनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था। वे दिखने में बेहद खूबसूरत थीं। वे बुद्धिमान और समझदार थीं। वे तंत्र-मंत्र की कला में भी माहिर थीं। राजा महाराजल रत्न सिंह ने अपने महल की सुरक्षा का जिम्मा अपनी बेटी को सौंपा था। एक बार अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने किले को घेर लिया। तब राजकुमारी रत्नावती ने युद्ध का नेतृत्व किया और खिलजी के सेनापति मलिक काफिर समेत एक हजार सैनिकों को बंदी बना लिया।
रानी दुर्गावती मध्य प्रदेश के गोंडवाना क्षेत्र की एक बहादुर महिला थीं। उनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय चंदेल के घर हुआ था। उनका राज्य गढ़ मंडला था, जिसका केंद्र जबलपुर था। रानी दुर्गावती ने अपने बेटे का भी मार्गदर्शन किया। उनकी आखिरी लड़ाई मुगल बादशाह अकबर के सेनापति ख्वाजा अब्दुल मजीद आसफ के साथ हुई थी। वह अपनी आखिरी सांस तक लड़ती रहीं। अंत में उन्होंने मुगलों के हाथों मरने या आत्मसमर्पण करने के बजाय खुद को चाकू मारना बेहतर समझा।
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रानी लक्ष्मीबाई सभी रानियों में सबसे लोकप्रिय हैं। वह झांसी राज्य की रानी थीं। वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और बहादुर थीं। उन्होंने महज 29 साल की उम्र में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना के साथ युद्ध लड़ा था। उन्होंने 1858 में भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने अपने पति गंगाधर राव की मौत के बाद गद्दी संभाली थी। वह अपने पति की अनुपस्थिति में खुद अंग्रेजों से भिड़ गईं। वह अपनी आखिरी सांस तक अंग्रेजों से लड़ती रहीं। और आखिरकार युद्ध के मैदान में शहीद हो गईं।
रानी चेन्नम्मा कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं। उन्हें अंग्रेजों से लड़ने के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले पहले शासकों में गिना जाता है। उन्होंने अपने पति और बेटे की मौत के बाद खुद ही गद्दी संभाली। बाद में अंग्रेजों ने उनसे सत्ता छीनने की कोशिश की, लेकिन वह उनके सामने झुकने को तैयार नहीं थीं। ऐसे में साल 1824 में उन्होंने ब्रिटिश नीति के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया और इस दौरान शहीद हो गईं।
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