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Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement: सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बाद बिग बी ने छोड़ा पान मसाले का विज्ञापन, प्रमोशन फीस लौटा कर की तौबा

India News Editor • LAST UPDATED : October 12, 2021, 1:04 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement: बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता हर दिल पर राज करने वाले एक ऐसे कलाकार हैं जो आज कल अपने ही चाहने वालों के निशाने पर आ चुके हैं। जिसके पीछे एक पान मसाले का विज्ञापन (Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement) करना माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू होने के बाद उन्होंने न सिर्फ विज्ञापन न करने का मन बना लिया है बल्कि सरोगेट कंपनी से प्रमोशन के लिए ली गई धन राशि भी लौटा दी है।

अमिताभ के कार्यालय ने Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement पर जारी किया बयान 

अमिताभ के कार्यालय से एक बयान जारी हुआ है जिसमें कहा गया है कि जब बच्चन को कंपनी ने ब्रांड की ऐड करने के लिए चुना था तब उन्हें पता ही नहीं था कि यह विज्ञापन सरोगेट विज्ञापन है। लेकिन जैसे सुपरस्टार टीवी पर पान मसाले का विज्ञापन (Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement) करते दर्शकों को दिखाई दिए तो प्रशंसकों को रास नहीं आए और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फैंन्स ही आलोचक बन गए। जिसको लेकर राष्ट्रिय तंबाकू विरोधी संगठन ने भी संज्ञान लेते हुए उन्हें जल्द से जल्द विज्ञापन (Amitabh Bachchan Kamla Pasand Advertisement) से हट जाने को कहा, क्योंकि देश में तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर प्रतिबंद है।

क्या होती हैं सरोगेट कंपनियां एवं ऐड?

वास्तव में देश में तंबाकू व नशे से जुड़ी किसी भी प्रकार की सामग्री की ऐड दिखाने पर पूर्ण प्रतिबंद्ध है। जैसे कि आमतौर पर टीवी पर देखने में आया है कि इस धंधे से जुड़ी कंपनियां अपना प्रोडक्ट बेचने व लोगों को सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए फिल्मी हस्तियां को सहारा लेती हैं। जिससे कि उनका माल बिक सके। जैसे कि पान मसाला, शराब, सिगरेट की प्रोमशन करने के लिए कंपनी सीधे तौर उत्पाद दिखाने की बजाए मिलते जुलते नाम और सामान को प्रमोट करने के लिए कलाकारों को मोटी रकम देते हैं।

जबकि कंपनी की मंशा असल में अपने परंंपरागत सामान को बेचने की होती है। जिसे वह स्क्रीन पर नहीं दिखा सकती। यानी ऐसा ऐड बनाकर जनता को परोसा जाता है जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट उससे मिलता जुलता ही होता है, जो सीधे तौर पर ब्रांड से जुड़ा होता है जिसकी बिक्री पर रोक लगी होती है।

तंबाकू उत्पादों को प्रोत्साहित न करने के लिए बना था कोपटा कानून

हालांकि इस तरह के विज्ञापन परोसने पर देश के कानून में जुमार्ने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है। साल 2003 में बने इस कानून के तहत तंबाकू से जुड़े किसी भी प्रोडक्ट की डायरेक्ट ऐडवर्टाइजिंग को बैन कर दिया गया था। नियमों की उल्लंघना करने वाले को 1 हजार से लेकर 5 हजार तक जुमार्ने और 2 से पांच साल की सजा का प्रावधान दिया गया है।

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