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एक दूसरे की जान लेने को उतारू हुए इस स्कूल के सारे बच्चे…,’दबाने लगे एक दूसरे का गला’ मच गई चीख-पुकार, जानें पूरा मामला

India News (इंडिया न्यूज), Bareilly Latest News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक सरकारी जूनियर हाई स्कूल से एक विचित्र घटना सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। स्कूल के कई बच्चों की अचानक हालत बिगड़ गई, और वे आपस में एक-दूसरे की गर्दन दबाने लगे। यह घटना इतनी भयावह थी कि कुछ बच्चे बेहोश हो गए और स्कूल में अफरा-तफरी मच गई।

घटना का विवरण:

बच्चों ने बताया कि उन्हें एक लंबी नाखून वाली महिला दिखाई दी, जो उन्हें डरा रही थी। यह सुनकर स्थानीय लोग और परिजन भी घबरा गए। इस घटना के बाद मिड डे मील की जांच की गई, लेकिन उसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली। मेडिकल टीमों ने बच्चों का निरीक्षण किया और उन्हें कोई शारीरिक बीमारी नहीं पाई।

ग्रुप हिस्टीरिया

डॉक्टरों ने इस घटना को ‘ग्रुप हिस्टीरिया’ का मामला बताया है। ग्रुप हिस्टीरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक समूह के लोग सामूहिक रूप से एक जैसा व्यवहार करते हैं, और यह आमतौर पर भय, तनाव या अंधविश्वास के कारण होता है।

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ग्रुप हिस्टीरिया के लक्षण:

  1. सामूहिक भ्रम: एक व्यक्ति के अनुभव से पूरे समूह में एक जैसी प्रतिक्रिया फैल जाती है।
  2. अचानक घबराहट: बिना किसी स्पष्ट कारण के भय और तनाव महसूस होना।
  3. सामूहिक बेहोशी: समूह में किसी एक की प्रतिक्रिया से अन्य लोग भी प्रभावित होकर बेहोश हो सकते हैं।

संभावित कारण:

  1. अंधविश्वास और सामाजिक प्रभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में भूत-प्रेत और अदृश्य शक्तियों पर विश्वास आम है। बच्चों पर इसका मानसिक प्रभाव पड़ सकता है।
  2. तनाव और मानसिक थकान: पढ़ाई या अन्य किसी कारण से बच्चों पर मानसिक दबाव हो सकता है, जो इस प्रकार की घटनाओं का कारण बनता है।
  3. सामूहिक चर्चा: एक बच्चा अगर किसी डर की बात करता है, तो दूसरे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं।

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प्रशासन और डॉक्टरों की अपील:

एसडीएम और डॉक्टरों ने सभी से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और इस घटना को अंधविश्वास से न जोड़ें। यह एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा मामला हो सकता है, जिसे जागरूकता और सही जानकारी से हल किया जा सकता है।

समाधान और सुझाव:

  1. बच्चों की काउंसलिंग: बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श दिलाया जाए।
  2. स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम: अंधविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षण सत्र आयोजित किए जाएं।
  3. अभिभावकों की भूमिका: माता-पिता बच्चों से खुलकर बातचीत करें और उन्हें डर या भ्रम से दूर रखें।

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इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य और जागरूकता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अफवाहों और अंधविश्वास से बचकर ही हम ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।

Prachi Jain

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