India News (इंडिया न्यूज), Boycott Turkey: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया था। हालांकि, अब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हो गया है। इस टकराव में चीन के अलावा तुर्की और अजरबैजान ने भी भारत पर पाकिस्तान के इस हमले का समर्थन किया था। पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने के लिए तुर्की के 350 से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया था। तुर्की की सेना ने भारत पर ड्रोन हमले करने में पाकिस्तान की मदद की थी।
ऐसे में अब पूरे देश में तुर्की के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। भारत में हर जगह बायकॉट तुर्की ट्रेंड कर रहा है। भारत के लोगों में तुर्की और अजरबैजान को लेकर गुस्सा है। इसके चलते तुर्की के व्यापार से लेकर यात्रा तक हर चीज का विरोध हो रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत के खिलाफ युद्ध में तुर्की ने पाकिस्तान की बड़े पैमाने पर मदद की थी। इसके चलते लोग पाकिस्तान और तुर्की की गहरी और पुरानी दोस्ती का हवाला दे रहे हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान और तुर्की का झंडा एक जैसा क्यों दिखता है, आइए जानते हैं इसकी वजह क्या है।
Pakistan and Turkey flags
पाकिस्तान और तुर्की के झंडों को लेकर काफी चर्चा होती है। पाकिस्तान और तुर्की का झंडा एक जैसा दिखता है, लेकिन इनमें कई अंतर हैं। जिसमें पाकिस्तान और तुर्की के झंडों में सबसे पहला अंतर अर्धचंद्र और तारा है। पाकिस्तान के झंडे में अर्धचंद्र और तारा बीच में बना होता है। जबकि तुर्की के झंडे में अर्धचंद्र और तारा बाईं तरफ बना होता है। इसके अलावा दोनों झंडों के रंग में भी सबसे बड़ा अंतर है, जिसमें पाकिस्तान का झंडा हरा है, जबकि तुर्की का झंडा लाल है। साथ ही पाकिस्तान के झंडे में एक सफेद पट्टी भी शामिल है, जबकि तुर्की का झंडा पूरी तरह से लाल है। तुर्की के झंडे का रंग ओटोमन साम्राज्य के बैनर के शाही मानक रंग से अपनाया गया था, जबकि पाकिस्तान के झंडे का हरा रंग इस्लाम पर आधारित है।
पाकिस्तान के झंडे को 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान की संविधान सभा में अपनाया गया था। तुर्की के झंडे को आधिकारिक तौर पर 5 जून, 1936 को अपनाया गया था। पाकिस्तान के झंडे को परचम-ए-सितारा ओ-हिलाल के नाम से भी जाना जाता है। तुर्की के झंडे को अल बयारक या लाल झंडा भी कहा जाता है। इसके साथ ही तुर्की और पाकिस्तान के झंडे पर मौजूद अर्धचंद्र और तारा मुस्लिम लीग में बहुत महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। यह तारा और अर्धचंद्र कॉन्स्टेंटिनोपल से आया है, जो एक महत्वपूर्ण प्राचीन शहर था। अर्धचंद्र और तारा ओटोमन साम्राज्य का भी प्रतिनिधित्व करते थे। ऐसे में दोनों झंडों पर मुख्य प्रतीक ओटोमन साम्राज्य से लिया गया सफेद अर्धचंद्र और तारा है। जिसमें अर्धचंद्र प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है और तारा इस्लाम और उसके पांच स्तंभों का प्रतिनिधित्व करता है।