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इस 700 साल पुराने मंदिर में जाती हैं सताई हुईं बीवियां, होता है ऐसा चमत्कार, फटी रह जाती हैं जुल्मी पतियों की आंखें

India News (इंडिया न्यूज), Divorce Temple in Japan: इस पूरी दुनिया में कई जगहें ऐसी हैं जिनके बारे में सुनकर ही वहां जाने का मन होने लगता है। भारत सहित दुनिया भर में हजारों ऐसे खूबसूरत और रहस्मयी मंदिर मौजूद हैं जो अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक मान्यताओं को लेकर मशहूर हैं। भारत में लगभग सभी मंदिर देवी-देवताओं को समर्पित हैं और लोग वहां भगवान के दर्शन करने को जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि जापान में एक ऐसा मंदिर निर्मित है जिसकी अपनी एक अलग और बहुत खूबसूरत परंपरा है, दरअसल जापान में बना यह मंदिर तलाक मंदिर के नाम से जाना जाता है। जापान में निर्मित यह फेमस मंदिर उन स्त्रियों के लिए बहुत खास है जो घरेलू हिंसा या किसी अन्य अत्याचार की शिकार रही हैं, यह मंदिर इस तरह की महिलाओं का आश्रय स्थल है। ऐसा माना जाता है कि, सदियों पहले जापान में महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता था उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण किया गया था। किसी भी तरह के अन्याय से पीड़ित महिलाएं यहां आकर रह सकती थीं और उन्हें यहां शारीरिक, मानसिक और सोशल सपोर्ट भी दिया जाता था। जापान में निर्मित यह मंदिर आज भी महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है।

महिलाओं को नहीं थे अधिकार

जापान के कामाकुरा शहर में बना यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। उस समय जापान में कोई भी पुरुष अपने पत्नी को आसानी से तलाक देकर शादी के बंधन से मुक्त हो जाता था और महिला दर-दर भटकने को मजबूर होती थी, उन्हीं महिलाओं के लिए यह मंदिर एक आसरा बन जाता था। घरलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं भी यहां आकर रह सकती थीं। यह मंदिर हर उस महिला का सहारा बनता था जो अपने पति की क्रूरता को सह रही थीं। यहां आकर महिलाएं शारारिक और मानसिक रूप से राहत पाती थीं और आध्यात्मिक शांति को महसूस करती थीं। यह मंदिर न सिर्फ उस दौर की महिलाओं बल्कि उनके लिए भी प्रेरणा बना है जो महिलाएं आज के समय में किसी भी अत्याचार को सह रही हैं।

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पीड़ित महिलाओं का सहारा बना यह मंदिर

यह मंदिर जापान में कामाकुरा शहर में बना हुआ है, यह अनोखा मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। यह मंदिर ‘तलाक मंदिर’ के नाम से भी खासा मशहूर है। इस मंदिर को बौद्ध नन काकुसन ने अपने पति होजो टोकीमून के साथ मिलकर बनवाया था। उस दौरान महिलाओं के पास बहुत कम अधिकार थे, उनके पति उन्हें आसानी से तलाक दे सकते थे लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती थीं। यही सब देखते हुए काकुसन ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था क्योंकि वह खुद भी एक ऐसे दुखद विवाह से पीड़ित थीं। इसीलिए उन्होंने बहुत सोच कर एक ऐसे मंदिर को बनवाया जहां महिलाएं आसानी से अपने पतियों के दुखों से दूर अपना जीवन जी सकें।

पुरुषों के जाने पर लगा था प्रतिबंध

इस मंदिर में महिलाओं को शुरुआत में 3 साल रहने की अनुमति दी जाती थी जिस दौरान वे आत्मनिर्भर होना सीखती थीं। कुछ समय बाद यह अवधि घटाकर 2 वर्ष कर दी गई। पहले इस मंदिर में सिर्फ महिलाएं ही प्रवेश कर सकती थीं लेकिन साल 1902 में एंगाकु-जी ने मंदिर पर अपना कब्ज़ा जमा लिया जिसके बाद यहां एक पुरुष मठाधीश नियुक्त हुआ और यहाँ पुरुषों के आने पर लगा हुआ प्रतिबंध भी हट गया।

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Yogita Tyagi

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