India News (इंडिया न्यूज), Earthquake Or Nuclear Weapon Test: 2025 में अभी तक 6 महीने भी नहीं बीते हैं और एक के बाद एक कई तबाही मचाने वाले भूकंप आ चुके हैं। कहीं झटकों ने डराया तो कहीं बिल्डिंग्स धड़धड़ा कर गिर गईं। इन सबके बीच हाल ही में भूकंप को लेकर एक चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है। इस रिसर्च में भूकंप और परमाणु परीक्षणों को लेकर ऐसी बात खोली गई है, जो दुनिया को हिला देने वाली है। इस रिसर्च में 20 सालों की डिटेल शामिल की गई है। यही नहीं चोरी-छिपे ऐसा काम करने का भी दावा किया गया है।
भूकंप और परमाणु परीक्षणों को जोड़ते हुए लॉस अल्मोस नेशनल लेबोरेटरी के भूकंप वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है। इस शोध में शामिल हुए वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है, जिसमें कहा गया है कि ‘भूकंप के झटके असल में सीक्रेट परमाणु परीक्षण हो सकते हैं’। साइंटिस्ट जोशुआ करमाइकल के नेतृत्व में हुई इस रिसर्च को यह रिसर्च बुलेटिन ऑफ द सीस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका में प्रकाशित किया गया है, जिसने दुनिया भर में जबरदस्त तहलका मचा दिया है।
Earthquake Or Nuclear Weapon Test: भूकंप या परमाणु परीक्षण
रिसर्चर्स का कहना है कि भूकंप और चोरी-छिपे किए जाने वाले परमाणु परीक्षण की वजह से धरती में जो कंपन होता है उसमें फर्क करना बहुत मुश्किल हो गया है। रिसर्च में कहा गया है कि अब सीक्रेट न्यूक्लियर विस्फोटों में ऐसी नई तकनीक इस्तेमाल की जा रही है, जिसे भूकंप से अलग कर पाना मुश्किल है क्योंकि दोनों झटके एक जैसे होते हैं। दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने P-वेव और S-वेव के अनुपात से अंदाजा लगाकर इस समस्या का हल निकालने की कोशिश की है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक पिछले 20 सालों में छह परमाणु परीक्षण कराए गए हैं, विशेषज्ञों ने इस तर्क को भी शामिल किया है कि परमाणु परीक्षण स्थलों के पास भूकंपों बहुत बार आते हैं। टीम के मुताबिक रिसर्च के दौरान पाया गया कि परमाणु परीक्षणों के लिए खास तकनीक है जो एक लिमिट के बाद फेल हो जाती है। इस तकनीक से 1.7 टन के दबे हुए विस्फोट की 97 फीसदी तक सही पहचान हो सकती है लेकिन अगर विस्फोट के झटके 100 सेकंड के अंदर और 250 किलोमीटर के दायरे में आने वाले भूकंप के झटकों के साथ मिल जाएं तो ये खास तकनीक के नतीजे सिर्फ 37 फीसदी ही सही होते हैं।