India News(इंडिया न्यूज), First Women Ruler Of India: भारत के इतिहास में कई महान शासकों की कहानियां दर्ज हैं, लेकिन जब बात किसी महिला के सिंहासन पर बैठने की हो, तो नाम आता है रजिया सुल्तान का। गुलाम वंश की इस सुल्तान को पाने के लिए खूनी संघर्ष हुआ, बगावतें हुईं, और अंततः एक साजिश ने उनकी जान ले ली। लेकिन सत्ता में रहते हुए उन्होंने अपनी योग्यता का ऐसा परिचय दिया कि आज भी उनका नाम गर्व से लिया जाता है।
इल्तुतमिश की लाडली
गुलाम वंश के शासक शम्सुद्दीन इल्तुतमिश की बेटी रजिया का जन्म 1205 ईस्वी में बदायूं में हुआ था। वह बचपन से ही असाधारण प्रतिभा की धनी थीं। उनके पिता ने उन्हें बेहतरीन शिक्षा दिलाई और युद्ध-कौशल में निपुण बनाया। तीरंदाजी, घुड़सवारी और प्रशासनिक कार्यों में उनकी दक्षता इतनी प्रभावी थी कि इल्तुतमिश ने अपने बेटों के बजाय उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया।
दिल्ली की गद्दी तक का संघर्ष
हालांकि, इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद 1236 ईस्वी में सत्ता रुक्नुद्दीन फिरोज के हाथों में आई, लेकिन वह एक अयोग्य शासक साबित हुआ। रजिया को जनता का समर्थन प्राप्त था और उन्होंने बगावत कर सात महीने के भीतर ही दिल्ली की सत्ता छीन ली। इस तरह, वह भारत की पहली और एकमात्र मुस्लिम महिला शासक बनीं।
रूढ़िवादी सरदारों को रजिया का सुल्तान बनना नहीं था मंजूर
दिल्ली के रूढ़िवादी सरदारों को रजिया का सुल्तान बनना मंजूर नहीं था। उन्होंने लगातार उनके खिलाफ साजिशें रचीं। सल्तनत के वजीर निजाम-अल-मुल्क जुनैदी समेत कई अमीरों ने उनका विरोध किया। परंतु रजिया ने अपनी कार्यकुशलता से प्रशासन को मजबूत बनाए रखा। उन्होंने न्यायप्रियता और विकास कार्यों से जनता का भरोसा जीता।
रजिया और याकूत का रिश्ता
रजिया के सबसे भरोसेमंद सहयोगी जमाल-उद-दीन याकूत थे, जो एक अफ्रीकी सिद्दी गुलाम थे। दोनों के बीच गहरी नजदीकी की खबरें फैलीं, जिससे कई सरदार असंतुष्ट हो गए। खासकर, बठिंडा के प्रशासक मलिक इख्तियार-उद-दीन अल्तूनिया को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, क्योंकि वह खुद रजिया से विवाह करना चाहता था। इसी नाराजगी में उसने विद्रोह कर दिया, याकूत की हत्या कर दी और रजिया को बंदी बना लिया।
सत्ता बचाने के लिए शादी
रजिया ने परिस्थिति को भांपते हुए अल्तूनिया से विवाह कर लिया और सत्ता वापस पाने के लिए दिल्ली कूच किया। लेकिन तब तक सत्ता बहराम शाह के हाथों में जा चुकी थी। 13 अक्टूबर 1240 को रजिया और अल्तूनिया की सेना पर हमला हुआ और उन्हें हरा दिया गया। अगले ही दिन, 14 अक्टूबर को दोनों की हत्या कर दी गई। इस तरह, रजिया का शासनकाल महज चार साल में खत्म हो गया।
रजिया के शासन की अमिट छाप
हालांकि रजिया का राज ज्यादा लंबा नहीं चला, लेकिन उनकी उपलब्धियां अमूल्य रहीं। उन्होंने सड़कों, कुओं, स्कूलों, पुस्तकालयों और संस्थानों का निर्माण करवाया। कला, संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा दिया। न्यायप्रियता और प्रशासनिक दक्षता के कारण वह आज भी भारतीय इतिहास में एक मजबूत महिला शासक के रूप में याद की जाती हैं।
इतिहास में अमर रह गईं रजिया
दिल्ली के इतिहास में रजिया सुल्तान वह अकेली महिला हैं, जिन्होंने सत्ता की बागडोर संभाली। उनके बाद कोई भी महिला सल्तनत के सिंहासन तक नहीं पहुंच पाई। उनके संघर्ष, उपलब्धियां और बलिदान ने उन्हें भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया।