मृत्यु और आत्मा का अस्तित्व
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नए शरीर को धारण करती है। यह सिद्धांत सभी धर्मों में एक समानता दर्शाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा का अस्तित्व बना रहता है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने योग की शक्ति से इस रहस्य को समझा है और इस पर ध्यान केंद्रित किया है।
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गरुड़ पुराण और शरीर के तीन प्रकार
गरुड़ पुराण के अनुसार, हमारे शरीर के तीन प्रकार होते हैं:
- स्थूल शरीर: यह पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना है और इसकी मृत्यु होती है।
- सूक्ष्म शरीर: इसे आधुनिक विज्ञान में एंटीबॉडी के समान समझा जा सकता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- कारण शरीर: यह आत्मा का सूक्ष्म शरीर है, जो मृत्यु के बाद स्थूल शरीर को छोड़कर यमलोक की यात्रा करता है।
वैज्ञानिक खोज: यमलोक का नया रूप
2012 में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने “रिवर स्टाइक्स” नाम की एक नदी की खोज शुरू की, जो बाद में 13 जुलाई 2015 को प्लूटो ग्रह पर खोजी गई। उनकी रिसर्च में बताया गया कि यह ग्रह पृथ्वी से लगभग 6 अरब किलोमीटर दूर स्थित है। प्लूटो की सतह लाल रंग की है और इसका वातावरण गरुड़ पुराण में वर्णित यमलोक के वातावरण से मेल खाता है।
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अद्भुत समानताएँ
वैज्ञानिकों ने यह पाया कि प्लूटो का वातावरण यमलोक की यात्रा के वर्णन से मिलता-जुलता है। गरुड़ पुराण में आत्मा की यात्रा का जो वर्णन किया गया है, उसमें वैज्ञानिकों की खोज के साथ अद्भुत समानताएँ पाई गई हैं। यह समानताएँ प्राचीन ग्रंथों और आधुनिक विज्ञान के बीच एक संबंध स्थापित करती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा की प्रक्रिया एक गहरी वैज्ञानिक और दार्शनिक समझ को दर्शाती है।
निष्कर्ष
यमलोक की खोज ने प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और आधुनिक विज्ञान के बीच की दीवार को कम किया है। यह न केवल मृत्यु के बाद की यात्रा को समझने में मदद करता है, बल्कि आत्मा के अस्तित्व पर भी एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। जब विज्ञान और धर्म एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो वे हमें जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने में सक्षम बनाते हैं। इस प्रकार, यमलोक की खोज एक नए युग की शुरुआत कर सकती है, जहां आध्यात्मिकता और विज्ञान एक साथ मिलकर ज्ञान का विस्तार करेंगे।
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