India News(इंडिया न्यूज), Holi 2025: होली हो या शिवरात्रि, वाराणसी से लेकर लखनऊ, मथुरा और कानपुर समेत देश के कई हिस्सों में भांग पीने की परंपरा है। वो भांग जिसे पीते ही लोग होश खो बैठते हैं। हंसने लगते हैं तो घंटों हंसते रहते हैं। नाचने लगते हैं तो घंटों नाचते रहते हैं। चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है। भांग की तासीर कुछ ऐसी ही होती है।

भारत में भांग ठंडाई का चलन बहुत पुराना है। होली के बहाने आइए जानते हैं, भांग शरीर में पहुंचते ही कैसे असर दिखाती है, इसके कितने खतरे हैं और विज्ञान इसके बारे में क्या कहता है।

भांग शरीर में पहुंचते ही कैसे अपना असर दिखाती है?

भारत में धार्मिक मान्यता है कि भांग का पौधा समुद्र मंथन के बाद पैदा हुआ था. मंथन से निकली अमृत की एक बूंद मदार पर्वत पर गिरी और उस बूंद से भांग का पौधा उग आया. अपने औषधीय गुणों के कारण यह शोध का विषय भी बन गया. भांग शरीर में पहुंचते ही अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। इसके पीछे का कारण हैप्पी हॉरमोन डोपामाइन है, जो व्यक्ति को खुश महसूस कराता है।

इस हॉरमोन का स्तर बढ़ने पर यह व्यक्ति के मूड को नियंत्रित करने लगता है और व्यक्ति को खुश महसूस कराता है। यही वजह है कि नशा बढ़ने के बाद अगर लोग हंसना शुरू करते हैं तो घंटों हंसते रहते हैं, क्योंकि भांग का असर उन्हें कई घंटों तक हंसने पर मजबूर कर देता है। भांग का कोई भी रूप हो, इसे खाने से अलग तरह की खुशी मिलती है। नतीजतन, बार-बार खाने पर यह आदत बन जाती है। जिससे कई तरह के खतरे बढ़ जाते हैं।

कब दिखता है असर?

यह जरूरी नहीं है कि भांग का नशा हर व्यक्ति में एक तय समय पर ही दिखे। नशा कितनी जल्दी चढ़ेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि भांग किस रूप में ली जा रही है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। अगर भांग का इस्तेमाल सिगरेट या बीड़ी के रूप में किया गया है तो इसका असर कुछ ही सेकंड में दिखने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फेफड़े इसके धुएं को बहुत जल्दी सोख लेते हैं और असर दिमाग तक पहुंचने लगता है।

अगर आप भांग का सेवन ठंडाई या किसी अन्य रूप में करते हैं तो इसका नशा होने में एक घंटे या उससे भी ज्यादा समय लग सकता है। इसका असर शुरू होते ही दिमाग जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाता है। व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है। इसकी मात्रा ज्यादा होने पर नुकसान का खतरा बढ़ जाता है।

क्या भांग जान भी ले सकती है?

Webmd की रिपोर्ट के मुताबिक भांग का असर दवाइयों में भी होता है, लेकिन अगर इसे ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो यह विपरीत असर भी दिखा सकता है। भांग का दिमाग पर सीधा असर होता है। इसकी 50 मिलीग्राम से ज्यादा मात्रा हाई डोज में आती है। इसके साइड इफेक्ट लंबे समय तक देखे जा सकते हैं।

खासकर अगर सिगरेट के ज़रिए लिया जाए तो सांस लेने में दिक्कत बढ़ सकती है. इससे हाई अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है. इसके अलावा फेफड़ों में चोट लगने का ख़तरा बढ़ जाता है. आंखें लाल होने लगती हैं. नशा होने के बाद इंसान कुछ भी बोलने लगता है. साफ़ दिखाई देना भी बंद होने लगता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आम तौर पर इससे मौत का ख़तरा कम होता है, लेकिन दिल के मरीजों की मौत का ख़तरा ज़्यादा होता है. ऐसा मामला भी सामने आया है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि दुनिया की 2.5 फीसदी आबादी गांजे का सेवन करती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह बहुत कम कीमत पर और आसानी से उपलब्ध है। इसके खतरों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। अगर आप इसे दवा के तौर पर भी लेते हैं तो बिना डॉक्टरी सलाह के न लें। जो लोग पहले से ही हार्ट, लंग्स और बीपी समेत दूसरी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए।

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