India News (इंडिया न्यूज़), Viral News Of Jhunjhun: झुंझुनू जिले के बीडीके अस्पताल में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जो अब प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस घटना में एक व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद उसे चिता पर लिटाने के बाद अचानक से उसकी सांसें फिर से चलने लगीं। यह घटना ना केवल अस्पताल प्रशासन के लिए गंभीर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि स्थानीय अधिकारियों ने भी इसे गंभीरता से लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।

घटना का विवरण

यह घटना बगड़ इलाके के एक निराश्रित गृह में रहने वाले 47 वर्षीय मूक-बधिर व्यक्ति रोहिताश्व के साथ हुई। गुरुवार दोपहर को उसकी तबीयत बिगड़ी, और उसे तुरंत बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया और शव को पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर में रखवा दिया। इसके बाद, पंचनामा तैयार कर शव को निराश्रित गृह के संचालक को सौंप दिया गया, ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

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अंतिम संस्कार के समय चमत्कारी घटना:

जब रोहिताश्व का अंतिम संस्कार देर शाम किया जा रहा था, तभी अचानक चमत्कारी रूप से उसकी सांसें चलने लगीं। यह देखकर मौके पर अफरा-तफरी मच गई और तुरंत उसे फिर से बीडीके अस्पताल लाया गया। अस्पताल में उसे आईसीयू में भर्ती किया गया, और उपचार शुरू किया गया। इस घटनाक्रम के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया, और चिकित्सकों के खिलाफ सवाल उठने लगे।

अस्पताल प्रशासन और सरकारी प्रतिक्रिया:

इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने मामले पर चुप्पी साध रखी है और अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, जिला कलक्टर रामावतार मीणा ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि एक जांच टीम गठित की जाएगी, जो इस घटना की पूरी छानबीन करेगी। यदि अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही पाई जाती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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आगे की कार्रवाई:

जिला कलक्टर रामावतार मीणा ने कहा, “यह घटना गंभीर है, और इस पर विस्तृत जांच की जाएगी। यदि चिकित्सकों की ओर से कोई लापरवाही सामने आती है, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।”

इस घटना ने झुंझुनू के बीडीके अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता को उजागर किया है।

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यह घटना न केवल चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह यह भी साबित करती है कि कभी-कभी जीवन की धारा के साथ अजीब घटनाएं घटित होती हैं। अब प्रशासन और अस्पताल अधिकारियों के लिए यह जिम्मेदारी बनती है कि वे मामले की सही जांच करें और यदि चिकित्सकों ने कोई लापरवाही की हो तो उसे दंडित किया जाए।